
वाराणसी : अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले काशी के विद्वान पद्मश्री पंडित गणेश्वर शास्त्री ने मंदिर पर ध्वजारोहण का भी मुहूर्त दिया है. उनके मुताबिक, 25 नवंबर को विवाह पंचमी की तिथि पर 30 मिनट का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है. राममंदिर में ध्वजारोहण के अनुष्ठान पांच दिन पहले शुरू हो जाएंगे, इसलिए काशी और दक्षिण भारत के वैदिक विद्वान बुधवार (19 नवंबर) को अयोध्या पहुंच जाएंगे. गणपति पूजन और चतुर्वेद पारायण के साथ अनुष्ठान आरंभ होंगे. अनुष्ठान के पहले दिन चतुर्वेद के पारायण के समांतर यज्ञ कुंड में गणपति पूजन होगा.
इसके बाद अग्नि देव की स्थापना और नवग्रह पूजन किया जाएगा. हवन के बाद यज्ञ मंडप के चारों द्वार के पूजन अलग-अलग सूक्त, पारायण और अनुष्ठान कराए जाएंगे. बता दें कि 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी विशिष्टजनों की उपस्थिति में भव्य ध्वजारोहण होने वाला है.

प्राण प्रतिष्ठा में छूटे लोग होंगे शामिल
इस बार के आयोजन में काशी प्रांत के ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया है जिनको राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आमंत्रित किया गया था. इसमें चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, जौनपुर, मछलीशहर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रयागराज, कौशांबी के आदिवासी, सामाजिक कार्यकर्ता और विशिष्ट समुदाय से जुड़े लोग शामिल हैं. काशी प्रांत से अयोध्या पहुंचने वालों के लिए कारसेवकपुरम में ठहरने की व्यवस्था की गई है.

शुभ मुहूर्त पर बन रहे ये योग
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि विवाह पंचमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इसमें ध्रुव योग, सर्वार्थ सिद्धि और शिववास योग हैं. ध्रुव योग स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक है. इसमें किए गए कार्य लंबे समय तक स्थिर रहते हैं. उनका फल स्थायी होता है. सर्वार्थ सिद्धि का अर्थ है सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला योग. यह योग सभी प्रकार के शुभ कार्यों, पूजा-पाठ और अनुष्ठानों के लिए बेहद कल्याणकारी होता है. विवाह पंचमी के दिन शिववास योग का संयोग भी निर्मित हो रहा है. इस योग से भगवान शिव के विराजमान होने का संयोग बन रहा है.




