वाराणसी: गंगा में घटते जलस्तर के साथ ही वाराणसी के बाढ़ प्रभावित इलाकों में नई समस्या सामने आ गई है. पानी उतरने के बाद गंगा और वरुणा नदी के किनारे का इलाका सड़ांध और दुर्गंध से भर गया है. झाड़-झंखाड़, घास और कूड़े-कचरे की सड़न ने लोगों का घरों में रहना भी मुश्किल कर दिया है. हालात यह हैं कि नदी किनारे से करीब 500 मीटर दूर रहने वाले लोग भी इस दुर्गंध से परेशान हैं.
घाटों पर कूड़ा और गाद बनी परेशानी
गंगा किनारे के घाटों पर बाढ़ का पानी उतरने के बाद गाद और कचरे की मोटी परत जम गई है. यह गंदगी अब सड़ने लगी है, जिससे पूरे इलाके में बदबू फैल रही है. धूप और हवा चलते ही यह दुर्गंध और तेज हो जाती है. वहीं, लोगों को डर सता रहा है कि कहीं जलस्तर फिर न बढ़ जाए, क्योंकि अभी सफाई का कार्य ठीक से शुरू भी नहीं हो पाया है.
ALSO READ : बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही, ट्रक में फंसा तार; सड़क पर गिरा ट्रांसफार्मर
स्थानीय लोगों का कहना है कि गंदगी और सड़न से संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है. बच्चे और बुजुर्ग इस स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. आसपास के मोहल्लों में लोगों ने घरों से निकलना तक कम कर दिया है.
प्रशासन ने दिए सफाई और दवा छिड़काव के निर्देश
सोमवार रात आठ बजे तक गंगा का जलस्तर 69.06 मीटर दर्ज किया गया. पहले जलस्तर चार सेंटीमीटर प्रतिघंटा की गति से घट रहा था, जो अब घटकर दो सेंटीमीटर प्रतिघंटा रह गया है. इस बीच जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रभावित इलाकों में तत्काल सफाई अभियान चलाया जाए, चूना डाला जाए और संक्रमण रोकने के लिए दवाओं का छिड़काव किया जाए. अब वाराणसी के लोगों की सबसे बड़ी चिंता बाढ़ नहीं, बल्कि उसके बाद छोड़ी गई गंदगी और उससे पैदा हो रहा संक्रमण है.