वाराणसी: सावन-भादों के पावन माह में व्रत-उपवास और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व माना जाता है. इसी कड़ी में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाने वाला अजा एकादशी व्रत इस बार मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को श्रद्धा और भक्ति भाव से भक्तों द्वारा मनाया जा रहा है. वहीं इस व्रत का पारण बुधवार, 20 अगस्त 2025 को द्वादशी तिथि में किया जाएगा.
यह व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन विधिवत उपवास और पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं, पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
अजा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार अजा एकादशी का व्रत करने से न केवल पापों का शमन होता है, बल्कि मनुष्य मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि इस व्रत की साधना जन्म-जन्मांतर के बंधनों को तोड़ने वाली मानी जाती है.भक्तों का विश्वास है कि भगवान विष्णु की विशेष कृपा इस दिन उपवास रखने वाले साधक पर अवश्य होती है और उसका जीवन सकारात्मकता, सुख और शांति से भर जाता है.
व्रत विधि और नियम
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना अनिवार्य माना गया है. भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, पुष्प, फल और तुलसी दल अर्पित किए जाते हैं. व्रतधारी पूरे दिन अन्न-भोजन से परहेज़ रखते हैं. आवश्यक होने पर केवल फल, दूध अथवा निर्जल उपवास किया जा सकता है.दिनभर मंत्र-जप, ध्यान और श्री विष्णु नाम का स्मरण करने का विशेष महत्व बताया गया है. शाम को आरती और भजन-कीर्तन कर व्रत की पूर्णता का संकल्प लिया जाता है.
व्रत से होने वाले लाभ
आपको बता दे कि अजा एकादशी का उपवास आत्मिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है. इस व्रत से मनुष्य के पाप नष्ट होकर पुण्य की प्राप्ति होती है. जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.धर्मग्रंथों के अनुसार, इस व्रत का पालन करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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व्रत पारण 20 अगस्त को
धार्मिक परंपरा के अनुसार व्रत का समापन बिना पारण के अधूरा माना जाता है. अजा एकादशी व्रत का पारण बुधवार, 20 अगस्त 2025 को द्वादशी तिथि में किया जाएगा.
इस बार पारण का शुभ समय सुबह सूर्योदय से लेकर प्रातः 8:30 बजे तक रहेगा. व्रतधारी इस समयावधि में भगवान विष्णु को भोग अर्पित कर व्रत का समापन करेंगे और फिर भोजन ग्रहण कर सकेंगे.