वाराणसीः प्रसिद्ध स्वतंत्र कलाकार और काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पूर्व दृश्य कला संकाय से स्नातक और परास्नातक की उपाधि प्राप्त नितिन के. मिश्रा ने शनिवार को कहा कि प्रभावी कहानी कहने का अर्थ है दर्शकों से गहराई से जुड़ना. उक्त सीख बीएचयू के दृश्य कला संकाय के व्यावहारिक कला विभाग में तीन दिवसीय रचनात्मक स्टोरी-टेलिंग कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर नितिन के. मिश्रा ने छात्रों को दी. बीएचयू में यह कार्यक्रम गोवा में नितीन मिश्रा द्वारा स्थापित फीनिक्स वुल्फ ग्राफिक्स स्टूडियो के सहभागिता से आयोजित किया गया है.
रचनात्मक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
तीन दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन का सत्र कथा के मूल सिद्धांतों पर केंद्रित था. इसमें नितीन मिश्रा ने छात्रों को कहानी कहने की विभिन्न तकनीकों के माध्यम से कई दिशा निर्देश दिए. उन्होंने प्रतिभागियों को प्रभावशाली शुरुआत, मध्य और अंत के साथ आकर्षक कथा संरचनाएं तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया. चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रचनात्मक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका पर केंद्रित था.
कया आह्वान, छात्र निरंतर सीखे
इस दौरान मानसिक अध्ययन, टैरो कार्ड और मार्शल आर्ट में अपनी व्यक्तिगत रुचियों का उपयोग करते हुए नितिन के. मिश्रा प्रदर्शित किया. जानकारी दी कि कैसे अनुभवों की एक विस्तृत श्रृंखला एक कलाकार के दृष्टिकोण को समृद्ध कर सकती है. उन्होंने विविध कौशल विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सत्र का समापन किया और छात्रों से निरंतर सीखने और अनुकूलन करने का आग्रह किया.
ऐसे ही मिलती है सच्ची सफलता
स्टोरी-टेलिंग और चित्रण में जुनून, समर्पण और सहयोग की आवश्यकता पर एक सशक्त संदेश के साथ कार्यशाला का समापन हुआ. नितिन के. मिश्रा ने छात्रों को अपने काम के प्रति प्रेम के साथ अपने कौशल को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया और उन्हें आश्वस्त किया ऐसे ही सच्ची सफलता मिलती है. कार्यशाला का आयोजन प्रो. उत्तम दीक्षित (डीन, दृश्य कला संकाय) और प्रो. मनीष अरोड़ा (विभागाध्यक्ष, व्यावहारिक कला विभाग) के मार्गदर्शन में किया गया, जिसमें सहायक प्रोफेसर डॉ. आशीष कुमार गुप्ता और कृष्ण सिंह संयोजक के रूप में कार्यरत थे.