वाराणसी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार की शाम संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के अंतर्गत चल रहे दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण कार्य की प्रगति की जानकारी ली. सीएम ने अधिकारियों और विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिए कि इस कार्य को और तेज गति से आगे बढ़ाया जाए ताकि भारत की प्राचीन धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित पहुंच सके.
पांडुलिपियों के महत्व पर बल
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की पहचान इन पांडुलिपियों से होती है. यह न केवल इतिहास और संस्कृति को सहेजती हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा और अध्ययन का भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं. इसलिए इनका संरक्षण समयबद्ध और उच्च गुणवत्ता के साथ किया जाना बेहद जरूरी है.
सरकार देगी हरसंभव मदद
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार इस कार्य में हरसंभव सहयोग प्रदान करेगी. तकनीकी सहयोग से लेकर वित्तीय सहायता तक, जो भी आवश्यक होगा, उसे उपलब्ध कराया जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह कार्य केवल एक विश्वविद्यालय तक सीमित न रहे बल्कि पूरे प्रदेश की पांडुलिपियों के संरक्षण की दिशा में अभियान चलाया जाए.
विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी मौजूद
निरीक्षण के समय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, कुलसचिव राकेश कुमार, वित्त अधिकारी हरिशंकर मिश्र, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. महेन्द्र पांडेय और विनयाधिकारी प्रो. दिनेश कुमार गर्ग सहित कई अन्य शिक्षक व अधिकारी मौजूद रहे.
योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पांडुलिपि संरक्षण कार्य में तेजी आने की संभावना है. इससे न केवल दुर्लभ ग्रंथ सुरक्षित होंगे, बल्कि वाराणसी और उत्तर प्रदेश का योगदान राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक महत्वपूर्ण हो सकेगा.