वाराणसी : अपर आयुक्त सुभाष यादव ने कहा कि बाल श्रम केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि एक गम्भीर सामाजिक समस्या है. इसे खत्म करने के लिए सभी सरकारी विभागों, समुदायों और संबंधित संस्थाओं को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे. उन्होंने कहा कि बाल श्रमिकों के पुनर्वास में शिक्षा, चिकित्सा, आश्रय और परिवहन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
यूनिसेफ के सहयोग से श्रम विभाग द्वारा कमिश्नरी सभागार में आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने वर्ष 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने के संकल्प को दोहराया. उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देकर ही इस समस्या का स्थायी समाधान संभव है, इसलिए माता-पिता और समाज को सक्रिय भूमिका निभानी होगी.
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कार्यशाला में वी.वी. गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान की पूर्व वरिष्ठ फेलो डॉ. हेलेन आर. सेकर ने ताला, पीतल, कालीन और कांच उद्योगों में बाल श्रमिकों की स्थिति पर प्रकाश डाला और बताया कि बाल श्रम से मुक्ति प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार है. इस दौरान वाराणसी मंडल (वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली) को बाल श्रम से मुक्त करने की कार्ययोजना पर चर्चा की गई.
बैठक में शिक्षा, महिला कल्याण, श्रम, पुलिस, कौशल विकास, अल्पसंख्यक कल्याण, ग्रामीण विकास विभागों के साथ-साथ बाल कल्याण समिति, बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू), बाल हेल्पलाइन, मानव तस्करी रोधी इकाई (एएचटीयू) और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
अपर पुलिस आयुक्त दिगंबर विश्वास ने अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत निजी विद्यालयों में प्रवेश दिलाने की बात कही। वहीं यूनिसेफ के बाल अधिकार विशेषज्ञ दिनेश कुमार ने ग्राम स्तर पर बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया .