वाराणसी: गंगा की जीवनदायिनी धारा में विलुप्तप्राय हो रही डॉल्फिन के संरक्षण के लिए अब स्थानीय लोगों को भी जिम्मेदारी दी जाएगी. भारत सरकार की प्रोजेक्ट डॉल्फिन योजना के तहत उत्तर प्रदेश वन विभाग ने "डॉल्फिन मित्र" कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है. इसके तहत वाराणसी और गाजीपुर जिलों को प्राथमिकता पर चिन्हित किया गया है, जहाँ स्थानीय मछुआरे, नाविक, विद्यार्थी और शोधार्थी इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे.
डॉल्फिन क्यों खास?
गंगा डॉल्फिन को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने विलुप्तप्राय प्रजाति की सूची में रखा है. यही वजह है कि भारत सरकार ने वर्ष 2021 में "प्रोजेक्ट डॉल्फिन" की शुरुआत की. इसके साथ ही 5 अक्टूबर 2022 को डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया और हर साल 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. डॉल्फिन को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित जीवों में शामिल किया गया है.
वाराणसी–गाजीपुर होंगे मॉडल जिले
वन संरक्षक, वाराणसी सर्किल द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद 16 जुलाई 2025 को एकीकृत वन्यजीव विकास परियोजना (Integrated Development of Wildlife Project) को स्वीकृति मिली. इसके तहत गंगा नदी के प्रवाह क्षेत्र में डॉल्फिन संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. पहले चरण में वाराणसी और गाजीपुर जिलों को चिन्हित किया गया है, जहाँ 2-2 "डॉल्फिन मित्र" नियुक्त किए जाएंगे.
क्या होगी "डॉल्फिन मित्र" की जिम्मेदारी?
डॉल्फिन मित्र" की जिम्मेदारी गंगा नदी में डॉल्फिन की गतिविधियों और उनके प्रवास स्थलों पर लगातार नजर रखने की होगी. वे अवैध मछली पकड़ने और प्रदूषण जैसी गतिविधियों की जानकारी तुरंत विभाग को देंगे. साथ ही स्थानीय लोगों में जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें डॉल्फिन के महत्व और संरक्षण की जरूरत से अवगत कराएंगे. इसके अतिरिक्त शोधार्थियों और विद्यार्थियों के साथ मिलकर वे डॉल्फिन संरक्षण में सक्रिय सहयोग भी करेंगे .वन विभाग का मानना है कि नाविक, मछुआरे और विद्यार्थी नदी के किनारे अधिक समय बिताते हैं, इसलिए वे प्राकृतिक प्रहरी की तरह डॉल्फिन की निगरानी और सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
आवेदन प्रक्रिया और मानदेय
डॉल्फिन मित्र बनने वाले व्यक्तियों को विभाग की ओर से निर्धारित मानदेय भी दिया जाएगा. इस योजना से जुड़ने के इच्छुक लोग 29 अगस्त 2025 तक अपना आवेदन प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय, वाराणसी या गाजीपुर में जमा कर सकते हैं. आवेदन ई-मेल के जरिए भी भेजा जा सकता है –
वाराणसी: dfovrns@yahoo.in
गाजीपुर: dfoghazipur@rediffmail.com
स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता
वन विभाग ने साफ किया है कि गंगा नदी के निकटवर्ती गांवों में रहने वाले लोग, विद्यार्थी और शोधार्थी इस योजना से जुड़ने के लिए प्राथमिकता पर लिए जाएंगे। इससे न केवल युवाओं को पर्यावरण संरक्षण से जुड़ने का अवसर मिलेगा बल्कि वे सीधे तौर पर गंगा की जैव विविधता को बचाने में भी योगदान दे सकेंगे.