वाराणसी: जिले के सेवापुरी विकासखंड के भिटकुरी ग्राम पंचायत की 10 महिलाएं आत्मनिर्भरता की नई मिसाल गढ़ रही हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत काली स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गाय के गोबर से पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक पेंट तैयार कर रही हैं. अब इस पेंट को दीपावली के पहले ग्रामीण बाजारों और काशी प्रेरणा मार्ट जैसे बिक्री केंद्रों पर लांच करने की योजना है.
भिटकुरी की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे इस प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल फिलहाल कई सरकारी भवनों को रंगने में किया जा रहा है. इससे समूह की महिलाओं को नियमित आय भी मिल रही है. समूह से जुड़ी सुनीता देवी बताती हैं कि पहले वे केवल खेती और पशुपालन तक ही सीमित थीं, लेकिन अब पेंट निर्माण से हर महीने उनकी अच्छी कमाई हो रही है. उनके अनुसार, “गांव के सरकारी भवन हमारे ही बनाए पेंट से सजाए जा रहे हैं, यह हमारे लिए गर्व की बात है.
सीडीओ हिमांशु नागपाल ने बताया कि पेंट बनाने के लिए महिलाओं को भिटकुरी गौशाला से गोबर उपलब्ध कराया जाता है. समूह में जुड़ी लगभग 10 महिलाएं गोबर के संग्रहण, प्रसंस्करण और पेंट उत्पादन की पूरी जिम्मेदारी निभा रही हैं. इन महिलाओं को उपलब्ध कराई गई मशीन की क्षमता प्रतिदिन करीब 500 लीटर पेंट बनाने की है. ये महिलाएं अब तक लगभग 5800 लीटर गोबर आधारित पेंट तैयार कर चुकी हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, गोबर से बना यह प्राकृतिक पेंट पूरी तरह से एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल है. यह न केवल दीवारों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है, बल्कि वातावरण को शुद्ध बनाए रखने में भी मददगार साबित होता है. सबसे खास बात यह है कि यह बाजार में बिकने वाले सामान्य पेंट की तुलना में काफी सस्ता है. इसकी कीमत केवल 100 रुपये प्रति किलो निर्धारित की गई है.
दीपावली से पहले इस पेंट को गांवों के हाट बाजार, विकास खंडों के क्लस्टर और काशी प्रेरणा मार्ट से बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. इससे न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में पेंट आसानी से उपलब्ध होगा, बल्कि महिला समूह की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी.