वाराणसी: गंगा के बढ़े जलस्तर ने घाटों की पारंपरिक गतिविधियों को अस्त-व्यस्त कर दिया है. इसके चलते सोमवार को अस्सी घाट पर जगह न होने के चलते पिंडदान की व्यवस्था सड़क किनारे करनी पड़ी. इसी दौरान पूजा कराने के अधिकार और स्थान को लेकर दो पक्षों के पंडित आपस में भिड़ गए .देखते ही देखते माहौल इतना गरमाया कि दोनों ओर से धक्का-मुक्की और हाथापाई शुरू हो गई. करीब दस मिनट तक चले इस हंगामे से श्रद्धालु और स्थानीय लोग दहशत में आ गए. सूचना पाकर पहुंचे पुलिस के जवानों दोनों पक्षों को समझा बुझा कर मामला शांत कराया.
पानी से भरे घाट, सड़क किनारे चौकियां
इस समय गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ा हुआ है, जिसके चलते घाट की सीढ़ियां जलमग्न हैं. परंपरा के अनुसार पिंडदान आमतौर पर घाट की सीढ़ियों पर कराया जाता है, लेकिन पानी भरने के कारण पंडितों ने सड़क किनारे चौकियां लगाकर पूजा शुरू कर दी.सोमवार सुबह श्रद्धालु पिंडदान के लिए पहुंचे तो अलग-अलग जगहों पर पंडित पूजा करा रहे थे. इसी बीच एक ही स्थान पर दो समूह आमने-सामने आ गए.
छतरी हटाने से बिगड़ा माहौल
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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विवाद तब शुरू हुआ जब एक पक्ष ने दूसरे पंडित द्वारा पूजा के दौरान लगी छतरी हटाने की कोशिश की. बातों-बातों में तकरार बढ़ गई और मामला धक्का-मुक्की तक पहुंच गया। इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट शुरू हो गई.
पुलिस की त्वरित दखल
करीब दस मिनट तक चले इस हंगामे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर थाने ले जाकर पूछताछ की. अधिकारियों ने चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह का विवाद हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं.
तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी
अस्सी घाट पर लंबे समय से पूजा-पाठ कर रहे तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि बाहर से आए पंडित बिना अनुमति के चौकियां लगाकर पिंडदान करा रहे हैं. उनका कहना है कि नगर निगम से पंजीकृत पुरोहितों को ही यह अधिकार है. बाहरी पंडितों के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे घाट की व्यवस्था और श्रद्धालुओं की आस्था प्रभावित हो रही है.