वाराणसी: बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर अनावश्यक बोझ डालने वाली स्पॉट बिलिंग सेवा की गड़बड़ी एक बार फिर सामने आई है. पूर्वांचल डिस्कॉम के मीटर रीडरों पर खपत से अधिक यूनिट दर्ज करने के आरोप लग रहे हैं. ताजा मामला वाराणसी की विश्वनाथ गली का है, जहां विश्वनाथ गली निवासी पवन कुमार शुक्ला ने 298 यूनिट बिजली खर्च की, लेकिन उन्हें 590 यूनिट का बिल थमा दिया गया. इस मामले ने उपभोक्ताओं में आक्रोश पैदा कर दिया है.
उपभोक्ता का आरोप: आधे से ज्यादा बढ़ाकर डाली गई यूनिट
विश्वनाथ गली निवासी पवन कुमार शुक्ला ने बताया कि उनके घर में दो किलोवॉट के घरेलू कनेक्शन पर बिजली आपूर्ति हो रही है. उनका खाता संख्या 6816901000 है. 10 अगस्त को मीटर रीडर घर पहुंचा और मौके पर ही स्पॉट बिलिंग मशीन से बिल निकालकर थमा दिया. जब उन्होंने बिल पर दर्ज यूनिट और मीटर की वास्तविक यूनिट का मिलान किया तो हैरान रह गए. बिल के अनुसार उनकी खपत 590 यूनिट दिखाई गई, जबकि मीटर पर वास्तविक खपत 298 यूनिट थी. यानी लगभग दोगुनी यूनिट का बिल उपभोक्ता पर थोप दिया गया है .
मीटर और बिल में अंतर
उपभोक्ता ने बताया कि बिल में मीटर रीडिंग 44,985 यूनिट अंकित की गई है. जबकि, मीटर पर वास्तविक रीडिंग 44,693 दर्ज थी .इस तरह, मीटर और बिल में 292 यूनिट का अंतर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. यदि सही रीडिंग के आधार पर हिसाब लगाया जाए तो कुल खपत केवल 298 यूनिट होती. इसके बावजूद 590 यूनिट का बिल भेजा गया.
अभियंताओं से की शिकायत
गलत बिलिंग से परेशान पवन कुमार शुक्ला ने विद्युत वितरण खंड-प्रथम (भेलूपुर) के अभियंताओं से शिकायत की. उन्होंने कहा कि उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए बिजली विभाग को सख्त कदम उठाने चाहिए. यदि स्पॉट बिलिंग सेवा के नाम पर फर्जीवाड़ा बंद नहीं हुआ तो आम जनता का भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा.उन्होंने आशंका जताई कि यह सिर्फ उनका मामला नहीं है, बल्कि कई उपभोक्ता इस तरह के गलत बिलिंग शिकार बन रहे होंगे.
स्पॉट बिलिंग सेवा पर उठे सवाल
पूर्वांचल डिस्कॉम ने उपभोक्ताओं की सुविधा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए स्पॉट बिलिंग सेवा शुरू की थी.इसमें मीटर रीडर मौके पर जाकर रीडिंग दर्ज करता है और मशीन से तुरंत बिल निकालकर उपभोक्ता को सौंप देता है. लेकिन हाल के दिनों में इस सेवा को लेकर लगातार शिकायतें बढ़ रही हैं. कई उपभोक्ता आरोप लगा चुके हैं कि मीटर रीडर जानबूझकर गलत यूनिट दर्ज कर रहे हैं. इससे न सिर्फ उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है बल्कि उनकी परेशानी भी बढ़ रही है.
फर्जीवाड़े का खेल या लापरवाही ?
बिजली विभाग के भीतर भी यह चर्चा है कि स्पॉट बिलिंग प्रक्रिया में निगरानी की कमी है. कई बार मीटर रीडर लापरवाही से गलत यूनिट दर्ज कर देते हैं, तो कई मामलों में जानबूझकर उपभोक्ताओं को अधिक बिल थमाया जाता है. उपभोक्ताओं को जब तक गड़बड़ी का पता नहीं चलता, वे अतिरिक्त बिल भरने के लिए मजबूर हो जाते हैं. कई जानकार मानते हैं कि यह ‘सिस्टम एरर’ कम और ‘मानवजनित त्रुटि’ ज्यादा है. सवाल यह भी उठ रहा है कि यदि इस तरह की गलतियां बार-बार सामने आती हैं, तो क्या वास्तव में विभाग इस पर कोई कार्रवाई करता है या फिर शिकायतों को रूटीन की तरह निपटा दिया जाता है.
उपभोक्ताओं की चिंता
पवन कुमार शुक्ला का कहना है कि बिजली विभाग को चाहिए कि ऐसे मामलों में त्वरित जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे.अगर समय रहते सुधार नहीं किया गया तो उपभोक्ताओं का भरोसा टूट जाएगा .उन्होंने यह भी कहा कि आम लोग मीटर की रीडिंग मिलाने के झंझट में नहीं पड़ते, और इसी का फायदा उठाकर गलत बिलिंग की जाती है.