वाराणसीः श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के विस्तार के बाद बनारस में तीर्थयात्रियों और सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके चलते शहर के प्रमुख मार्गों पर यातायात का दबाव भी काफी बढ़ गया है. इस समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन ने दशाश्वमेध घाट से गंगा पार तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे बनाने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही इस योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है. इस रोपवे को कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक बन रहे रोपवे प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा.
साल के अंत तक पहला रोपवे प्रोजेक्ट
बता दें कि वाराणसी में रोपवे की पहली परियोजना इसी साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है. हाल ही में इसको लेकर मंडलायुक्त एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में जिला प्रशासन, वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) और संबंधित विभागों की बैठक हुई, जिसमें इस नए रोपवे प्रस्ताव पर चर्चा हुई. यह परियोजना पूरी होने के बाद श्रद्धालु और पर्यटक गंगा पार से सीधे दशाश्वमेध घाट तक पहुंच सकेंगे.
गंगापार फोरलेन और पार्किंग की सुविधा
रोपवे के साथ-साथ गंगा पार ₹2372.09 करोड़ की लागत से फोरलेन सड़क और बड़ी पार्किंग परियोजना भी प्रस्तावित है. यहां 1500 वाहनों की क्षमता वाला पार्किंग स्थल बनाया जाएगा. इससे चंदौली, मीरजापुर, बिहार और मध्य प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को शहर के भीतर प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी. वे वाहन पार्किंग में खड़े कर सीधे रोपवे के जरिए दशाश्वमेध घाट पहुंच जाएंगे. इससे शहर में जाम और भीड़ का दबाव काफी कम होगा.शासन इस फोरलेन परियोजना के लिए टोकन मनी भी जारी कर चुका है.
नो-व्हीकल जोन और मौजूदा चुनौतियां
बता दें कि धाम क्षेत्र में यात्रियों की संख्या कई गुना बढ़ने के कारण मैदागिन से गोदौलिया और गोदौलिया से दशाश्वमेध तक नो-व्हीकल जोन लागू किया गया है. फिलहाल श्रद्धालु अपने वाहन टाउनहाल और बेनियाबाग पार्किंग में खड़े करते हैं, लेकिन वहां की जगह पर्याप्त नहीं है. इसी समस्या के समाधान के लिए गंगा पार रोपवे योजना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
रोपवे की तैयारी और लाभ
अधिकारियों की ओर से रोपवे की लागत, संचालन और तकनीकी पहलुओं का आकलन किया जा रहा है. खास बात यह है कि दशाश्वमेध घाट पर वीडीए द्वारा बनाए गए दो मंजिला ‘दशाश्वमेध भवन’ का फाउंडेशन पहले से ही रोपवे के अनुरूप तैयार किया गया है. वहीं गंगा पार फाउंडेशन की जगह, दूरी, बजट और पर्यटकों को होने वाले लाभ का मूल्यांकन जारी है.
इस पूरी परियोजना से एक ओर जहां श्रद्धालुओं को गंगा पार से सीधे धाम पहुंचने की सुविधा मिलेगी. वहीं, दूसरी ओर शहर में यातायात दबाव और पार्किंग की समस्या को भी काफी हद तक दूर किया जा सकेगा.