वाराणसीः भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरतालिका तीज व्रत इस बार 26 अगस्त, मंगलवार को होगा.यह पर्व भारतीय महिलाओं का विशेष पतिव्रत-तप माना जाता है. इस दिन सुहागिनें अपने पति के सुख, स्वास्थ्य, दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना से 24 घंटे का निर्जल उपवास रखती हैं. शाम को प्रदोष काल में महिलाएं भगवान शिव-पार्वती का पूजन करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं.
ज्योतिषीय गणना के अनुसार तिथि
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि यह व्रत हस्त नक्षत्र और चतुर्थी युक्त भाद्रपद शुक्ल तृतीया को रखा जाता है.इस बार तृतीया तिथि 25 सितंबर को दिन 11:39 बजे से प्रारंभ होकर 26 सितंबर को दोपहर 12:40 तक रहेगी.वहीं, हस्त नक्षत्र 26 सितंबर को भोर 4:04 बजे से 27 सितंबर सुबह 6 बजे तक रहेगा. उदयकाल में तृतीया, हस्त और चतुर्थी तीनों के संयोग से व्रत की तिथि 26 सितंबर को ही बन रही है.
व्रत विधि और पूजन परंपरा
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में महिलाएं उठकर कोई मिठाई खाकर जल ग्रहण करती हैं. इसके बाद सूर्योदय से ही उनका निर्जल व्रत शुरू हो जाता है, जो अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करने पर पूरा होता है.
काशी में विशेष महत्व
वाराणसी (काशी) में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. इस अवसर पर पंचगंगा घाट स्थित मंगला गौरी मंदिर में महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ती है.विवाहित महिलाएं माता का पूजन कर अखंड सौभाग्य और अटल सुहाग का आशीर्वाद मांगती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं माता के दर्शन से शिव समान योग्य पति की प्राप्ति की कामना करती हैं.