वाराणसी : वेद के मूर्धन्य विद्वान व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. युगल किशोर मिश्र का निधन एक सितंबर को शाम छह बजे हैदराबाद में हो गया. वह दो-तीन माह से अस्वस्थ चल रहे थे और हैदराबाद अपने पुत्र के यहां गए हुए थे. वहीं उन्होंने आखिरी सांस ली. उनका पार्थिव शरीर सोमवार को ही रविंद्रपुरी स्थित अवधधाम कालोनी ले आया गया. अंतिम संस्कार मंगलवार की सुबह दस बजे हरिश्चंद्र घाट पर हुआ. मुखाग्नि उनके एकमात्र पुत्र अरविंद्र मिश्र ने दी.
हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार
उनके निधन की खबर मिलते ही संस्कृत जगत में शोक की लहर दौड़ गई. हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार में संस्कृत विश्वौविद्यालय के लोग बड़ी संख्या में शामिल रहे. प्रो. मिश्र ने प्रारंभिक से लगायत उच्च शिक्षा बीएचयू से पूरी की. वर्ष 1995 कला विभाग, बीएचयू में बतौर संस्कृत प्रवक्ता नियुक्त हुए. वर्ष 1981 में बीएचयू छोड़कर संस्कृत विश्वविद्यालय चले गए. यहां वेद विभाग के प्रोफेसर पद पर ज्वाइन किया. इस दौरान वेद विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष व प्रति कुलपति सहित अनेक पदों पर कार्य किया. वहीं वर्ष 2008 से 10 तक राजस्थान संस्कृत विवि (जयपुर) के कुलपति व वर्ष 1997 में मानव संसाधन व विकास मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय वेद विज्ञान प्रतिष्ठान के सचिव, भारत अध्ययन केंद्र, बीएचयू में सम्मानित प्रोफेसर पद भी रह चुके हैं. वर्ष 2016 में संस्कृत विवि से सेवानिवृत्त हुए. वह आजीवन ज्ञान प्रवाह के ट्रस्टी रहे.
संस्कृत के पीढ़ी दर पीढ़ी रहे संवाहक
प्रो. मिश्र के दादा डा. भगवत प्रसाद मिश्र, पिता डा. गोपाल चंद्र मिश्र भी संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष रह चुके हैं. इस प्रकार प्रो. मिश्र का परिवार तीन पीढ़ियों से वेद के संरक्षण व संवर्धन में जुटा हुआ था. प्रो. मिश्र रविंद्रपुरी में अपने छोटे भाई बीएचयू, कला संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. श्रीकिशोर मिश्र के साथ रहते थे. प्रो. युगल किशोर को आस्ट्रेलिया, पेरिस, नेपाल, इटली, मारीशस, थाईलैंड, सिंगापुर सहित अनेक देशों से सरस्वती पुरस्कार, व्यास सम्मान, विक्रम कालिदास, हरिहरानंद स्मृति, व्यास, कालिकानंद सहित अन्य पुरस्कार मिला था.