
वाराणसी: गाजियाबाद से बनारस और बंगाल तक फैले प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सिरप की परतें एसआईटी की जांच में खुलने लगी हैं. इसकी कडियां आसपास के जिलों में जुड़ने लगी हैं. हाल में हुई कार्रवाई से इसका खुलासा हुआ कि आरोपित नशे के इस अवैध करोबार को किस तरह अमलीजामा पहना रहे थे. पूर्वांचल में वाराणसी से लेकर जौनपुर और भदोही ही नहीं सोनभद्र से लेकर अन्य पड़ोसी जिलों में नशे के अवैध करोबार को लेकर हलचल तेज है. कई आरोपित फरार हैं तो कई माल कमाकर करोड़पति और अरबपति तक बन चुके हैं. जब तक जांच शुरू होती तब तक कई अंडरग्राउंड हैं तो कई माल खपाकर निकलने के लिए अंडरग्राउंड होकर काम कर रहे हैं. पुलिस सक्रिय तब हुई जब प्रकरण ने सियासी चोला ओढ़ लिया और सपा ने इसमें मिलीभगत का आरोप लगाया. पुलिस लगातार सक्रियता दिखाकर कार्रवाई कर रही है लेकिन बड़ी मछली अभी पकड़ से बाहर ही है. मुख्य आरोपित शुभम जायसवाल के विदेश भागने के कयास लगाए जा रहे हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में पुलिस शुभम जायसवाल के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करने की तैयारी कर रही है.
जानिए अब तक की प्रगति
प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप की करोड़ों की तस्करी के बहुचर्चित प्रकरण में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस अब पूरी गंभीरता से पड़ताल में जुट गई है. नेताओं और पुलिस की संभावित भूमिका को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पुलिस कमिश्नर ने विशेष जांच दल का गठन कर दिया है, जो पूरे नेटवर्क, संपत्तियों और फर्जी बिलिंग की गहराई से जांच कर रही है.
एडीसीपी काशी जोन सरवणन टी. एसआईटी के अध्यक्ष बनाए गए हैं, जबकि एसीपी कोतवाली अतुल अंजन त्रिपाठी सदस्य और कोतवाल दयाशंकर सिंह विवेचक नियुक्त किए गए हैं. पूरी जांच की साप्ताहिक समीक्षा डीसीपी काशी कर रहे हैं. एसआईटी ड्रग माफिया शुभम जायसवाल, उसके पिता भोला प्रसाद जायसवाल और पूरे गिरोह के पिछले 10 वर्षों के अवैध कारोबार की जांच और कुंडली तैयार कर रही है.
पड़ताल की जद में ....
खरीदी गई संपत्तियाँ: मकान, कॉम्पलेक्स, होटल, मार्केट
उसके संपर्क: रिश्तेदार, दोस्त, कारोबारी सहयोगी
100 से अधिक दवा व्यवसायी और उनकी फर्में
एसआईटी की रडार पर ऐबोट हेल्थकेयर के सुपर स्टॉकिस्ट शैली ट्रेडर्स भी है, जिसे रांची से फर्जी पते पर काशी में पंजीकृत कर कारोबार चलाया जा रहा था. फर्जी बिलिंग के जरिए माल बांग्लादेश डिपोर्ट किया जा रहा था.

89 लाख शीशियों का खेल—100 करोड़ की अवैध खरीद-फरोख्त
औषधि विभाग की जांच में खुलासा हुआ कि शुभम नेटवर्क ने 89 लाख शीशी प्रतिबंधित कफ सीरप की खरीद–बिक्री की. इसकी बाजार कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये आंकी गई है. 93 मेडिकल स्टोरों के नाम पर 84 लाख शीशियों की बिलिंग दिखाई गई. इनमें अधिकांश दुकानें मौजूद ही नहीं थीं. नौ बंद फर्मों का इस्तेमाल फर्जी बिलिंग और नशा सप्लाई के लिए किया गया. इनमें सृष्टि फार्मा, जीटी इंटरप्राइजेज, शिवम फार्मा, हर्ष फार्मा, डीएसए फार्मा, महाकाल मेडिकल स्टोर, निशांत फार्मा, वीपीएम मेडिकल एजेंसी और श्री बालाजी मेडिकल शामिल हैं. जांच में सामने आया कि सप्तसागर दवा मंडी के लगभग 150 स्टॉकिस्टों पर दबाव डालकर बिलिंग कराई जाती थी. गोदाम में पहुंचने के बजाय माल सीधे शुभम जायसवाल के गोदाम भेज दिया जाता था.
फर्जी नियुक्ति और अन्य अनियमितताएं उजागर
औषधि आयुक्त रोशन जैकब के निर्देशन में हुई जांच में पता चला कि शुभम एक ही समय में रांची स्थित शैली ट्रेडर्स
और वाराणसी स्थित न्यू वृद्धि फार्मा में कार्यरत रहा, जो लाइसेंसिंग नियमों का गंभीर उल्लंघन है. अब तक शुभम और उसके पिता भोला जायसवाल सहित 28 दवा कारोबारियों पर वाराणसी के कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज हो चुका है.
शुभम विदेश भाग चुका है, उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस की तैयारी है. औषधि विभाग अब तक 76 फर्मों की जांच कर चुका है, जबकि जिन 26 फर्मों पर FIR दर्ज हुई है, उनके लाइसेंस निरस्त किए जा रहे हैं.




