
वाराणसी : राजातालाब तहसील परिसर शुक्रवार को अधिवक्ताओं के आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन से गूंज उठा. कचहरी में दो दिन पूर्व हुए पुलिस-अधिवक्ता विवाद के बाद दर्ज मुकदमे के विरोध में सैकड़ों वकीलों ने एकजुट होकर नारेबाजी की. उनका मुख्य आरोप था कि पुलिस ने बेबुनियाद आधारों पर मुकदमा दर्ज कर अधिवक्ता समाज की छवि धूमिल करने की कोशिश की है. प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने “अधिवक्ता एकता जिंदाबाद”, “पुलिस प्रशासन हाय-हाय” और “मनगढ़ंत मुकदमा वापस लो” जैसे नारे लगाए, जिससे पूरा परिसर गुंजायमान हो गया.

तहसील बार की बैठक में की निंदा
तहसील बार एसोसिएशन ने बैठक बुलाकर इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की. बैठक में पारित प्रस्ताव में स्पष्ट कहा गया कि पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं पर लगाया गया मुकदमा पूरी तरह निराधार है और यह वकील समाज को बदनाम करने की साजिश है. एसोसिएशन के महामंत्री अमृत कुमार सिंह ने बताया कि विवाद की जड़ 16 सितंबर को कचहरी में हुई घटना है, जब बड़ागांव थाने के दारोगा मिथिलेश प्रजापति और सिपाहियों पर वकीलों ने कथित तौर पर हमला किया था. इसके जवाब में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया, जिससे तनाव और बढ़ गया.
एडीसीपी पर दुर्व्यवहार का आरोप
अधिवक्ताओं ने एडीसीपी नीतू कादयान पर भी गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना था कि विवाद के दौरान एडीसीपी ने अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर गाली-गलौज की, जिससे वकील समाज गहरे रूप से आहत हुआ है. एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पुलिस की यह कार्रवाई असहनीय है. हम न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं और यदि मुकदमा तत्काल वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन को तहसील से लेकर प्रदेश स्तर तक विस्तार देंगे.” तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्र शेखर उपाध्याय ने कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग मनवाएंगे, लेकिन अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे.”





