
वाराणसी: यूपी सरकार ने किरायेदारी एग्रीमेंट को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब रेंट एग्रीमेंट पर लगने वाला स्टांप शुल्क 90 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है, जिससे पंजीकरण कराना बेहद किफायती हो गया है. पहले जहां स्टांप शुल्क 10,000 रुपये देना पड़ता था, अब यह घटकर सिर्फ 1,000 रुपये रह गया है.
सरकारी अधिसूचना के अनुसार, यह छूट भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 9(1)(क) के तहत दी गई है और यह आदेश गजट में प्रकाशित होने की तिथि से छः माह तक प्रभावी रहेगा. यह छूट केवल सामान्य पट्टा विलेखों पर लागू होगी; टोल और खनन पट्टों पर यह राहत लागू नहीं होगी.
नई स्टांप शुल्क संरचना (अधिकतम शुल्क)
औसत वार्षिक किराया — अधिकतम स्टांप शुल्क
* ₹2,00,000 तक: ₹500 (1 वर्ष), ₹1,500 (1–5 वर्ष), ₹2,000 (5–10 वर्ष)
* ₹2,00,001–₹6,00,000: ₹1,500, ₹4,500, ₹7,500
* ₹6,00,001–₹10,00,000: ₹2,500, ₹6,000, ₹10,000
यह निर्णय भवन मालिकों और किरायेदारों दोनों के लिए राहत लेकर आएगा. इसके चलते किरायेदारी अनुबंधों के पंजीकरण में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है और विवादों में कमी आएगी.
यूपी के सभी गांवों के नक्शे अब होंगे ऑनलाइन
राज्य सरकार ने ग्रामीण संपत्तियों को लेकर एक और बड़ी पहल की है. अब प्रदेश के 57,694 ग्राम पंचायतों की जमीनों को डिजिटल रूप से मैप किया जाएगा.
डिजिटल मैपिंग की खास बातें
* सैटेलाइट तकनीक से खेत, घर और सीमाओं का डिजिटल रिकॉर्ड
* गाटा नंबर डालते ही संबंधित खेत और घर का लोकेशन दिखाई देगा
* 15–30 सेमी तक की सटीकता वाले नक्शे तैयार होंगे
* गांव की सीमाओं और ज़मीन से जुड़े विवादों में कमी आएगी
* हर गाटा का रकबा भी ऑनलाइन मैप पर उपलब्ध होगा
* यह सुविधा आंशिक रूप से कर्नाटक में लागू है
यह कदम ग्रामीण संपत्ति प्रबंधन को पारदर्शी और आसान बनाएगा और लोगों को भू-स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज़ों की सटीक जानकारी मिलेगी.




