वाराणसी: काशी की पावन नगरी में रविवार की रात आस्था, भक्ति और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला. दुर्गाकुंड स्थित मां भगवती कूष्माण्डा के सप्तदिवसीय संगीत महोत्सव के पांचवें दिन भोजपुरी अभिनेता, गायक और सांसद मनोज तिवारी ने मंच संभालते ही श्रद्धा और उल्लास का वातावरण निर्मित कर दिया.
मां दुर्गा की कृपा से हर मोर्चे पर सफलता : तिवारी
मीडिया से बातचीत में मनोज तिवारी ने कहा कि मां दुर्गा की शक्ति और कृपा से ही उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिली है. उन्होंने विश्वास जताया कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी मां दुर्गा का आशीर्वाद उन्हें विजय दिलाएगा. उन्होंने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मां की कृपा से देश और प्रदेश को सही दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं, वैसे ही शेष कार्य भी शीघ्र पूरे होंगे. विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग पर की जा रही आलोचना को गलत ठहराते हुए तिवारी ने कहा कि वोटर लिस्ट से फर्जी नाम हटाने का विरोध उचित नहीं है. चुनाव आयोग सही दिशा में काम कर रहा है और उसका निर्णय निष्पक्ष है.
31 वर्षों से मां के दरबार में भजन गाते आ रहे
मनोज तिवारी ने बताया कि यह लगातार 31वां वर्ष है जब वे मां के दरबार में भजन प्रस्तुत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस अनुभव को शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है. दुर्गाकुंड की मां विचित्र शक्ति के साथ विराजमान हैं, और यहां गाना उनके जीवन का सबसे पावन अनुभव है.
भजनों और गीतों पर झूमे भक्त
मंच पर आते ही तिवारी ने "हर-हर महादेव" के जयकारों से पूरा माहौल गूंजा दिया. इसके बाद उन्होंने “दुर्गाकुंड के दुर्गा मंदिर में जाके शीश नवाईला…” भजन से शुरुआत की. उनके स्वर सुनते ही हजारों भक्तों ने भी सुर मिलाए और पूरा पंडाल भक्ति में डूब गया. इसके बाद उन्होंने “बाड़ी शेर पर सवार…” से मां की आराधना की तो पूरा वातावरण उल्लास से भर उठा.
माहौल तब और भी उत्साहपूर्ण हो गया जब तिवारी ने अपना लोकप्रिय गीत “जिया हो बिहार के लाला…” और फिर “हमरा बुझाता बा बबुआ पीएम होइए…” प्रस्तुत किया। इन गीतों ने श्रद्धालुओं को भक्ति के साथ-साथ लोकसंगीत की मिठास से भी सराबोर कर दिया.
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मां कूष्माण्डा का दिव्य श्रृंगार
महोत्सव के पांचवें दिन मां कूष्माण्डा का श्रृंगार भक्तों के आकर्षण का विशेष केंद्र रहा. पंचामृत स्नान के बाद मां को लाल बनारसी साड़ी और दुपट्टे से सजाया गया. पीले-सफेद मोतियों से बने लक्ष्मी हार और गुलाब, जूही, बेला व कठुआ की मालाओं से मां का रूप अलौकिक प्रतीत हो रहा था. श्रृंगार का कार्य पंडित कौशलपति द्विवेदी द्वारा सम्पन्न हुआ, वहीं आरती का आयोजन पंडित किशन दुबे ने किया. मां के स्वर्ण श्रृंगार के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और हर कोई इस दिव्य दृश्य को निहारने में मग्न रहा.
भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम
भक्ति, संगीत और आस्था का यह अनूठा संगम काशी की आध्यात्मिक पहचान को और प्रखर कर गया. भक्तों ने मनोज तिवारी के सुरों के साथ मां की महिमा का गुणगान किया और देर रात तक महोत्सव का पंडाल श्रद्धा से सराबोर रहा.