वाराणसी : इस बार भी 1 सितंबर 2025 से देशबर में कई अहम नियम लागू होने जा रहे हैं, जिनका असर सीधे आम जनता की जेब और जीवनशैली पर दिखाई देगा. इनमें चांदी पर हॉलमार्किंग, एसबीआई क्रेडिट कार्ड के नए नियम, डाक विभाग की सेवाओं में बड़ा बदलाव, जीएसटी परिषद की अहम बैठक और बैंकों की एफडी दरों की समीक्षा शामिल हैं.
एसबीआई क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए नए नियम
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने क्रेडिट कार्ड से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. एसबीआई के इन बदलावों का सीधा असर देशभर के लाखों क्रेडिट कार्ड धारकों पर पड़ना तय है. नए प्रावधानों के तहत यदि किसी ग्राहक का ऑटो-डेबिट फेल होता है तो उस पर 2 प्रतिशत पेनाल्टी लगाई जाएगी. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय लेनदेन, ईंधन की खरीद और ऑनलाइन शॉपिंग पर अतिरिक्त शुल्क बढ़ सकता है. बैंक ने रिवॉर्ड पॉइंट्स से जुड़े नियमों में भी संशोधन किया है, जिसके चलते इन पॉइंट्स का मूल्य पहले की तुलना में घट सकता है. इतना ही नहीं, 16 सितंबर से सभी कार्ड प्रोटेक्शन प्लान स्वतः ही नए वेरिएंट में स्थानांतरित हो जाएंगे.
रजिस्टर्ड पोस्ट अब स्पीड पोस्ट में विलय
भारतीय डाक विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए रजिस्टर्ड पोस्ट को स्पीड पोस्ट में विलय कर दिया है .यानी अब यदि कोई ग्राहक रजिस्ट्री कराना चाहेगा, तो वह केवल स्पीड पोस्ट के जरिए ही भेजी जाएगी. माना जा रहा है कि इस बदलाव से डाक सेवाएं तेज होंगी, लेकिन पारंपरिक रजिस्ट्री की सुविधा समाप्त हो जाएगी.
अब चांदी पर भी होगी हॉलमार्किंग अनिवार्य
अब तक केवल सोने के गहनों और सिक्कों पर ही हॉलमार्किंग जरूरी थी, लेकिन 1 सितंबर से सरकार ने चांदी के आभूषणों और बर्तनों पर भी हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है. इससे उपभोक्ताओं को चांदी की शुद्धता की गारंटी मिलेगी. हालांकि, ज्वैलर्स का मानना है कि इस कदम से चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. दूसरी ओर सोने की लगातार बढ़ती कीमतों के बीच निवेशकों का रुझान अब चांदी की ओर बढ़ा है. ऐसे में हॉलमार्किंग लागू होने के बाद खरीदारों को शुद्ध धातु तो मिलेगी, लेकिन दाम पर असर पड़ना तय है.
जीएसटी परिषद की बैठक पर सबकी नजर
3 और 4 सितंबर को जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक होगी. इसमें टैक्स संरचना को सरल बनाने के लिए मौजूदा चार स्लैब की जगह केवल दो स्लैब (5% और 12%) लागू करने पर चर्चा होगी. साथ ही टैक्स दरों में कटौती पर भी अहम फैसले हो सकते हैं. यदि ऐसा हुआ तो इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा.
एफडी की ब्याज दरों में हो कती है कटौती
सितंबर महीने में कई बैंक अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों की समीक्षा करेंगे. फिलहाल दरें 6.5% से 7.5% के बीच हैं, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि इनमें कटौती हो सकती है. ऐसे में विशेषज्ञ निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि वे जल्द निवेश कर लें, वरना आगे चलकर कम ब्याज दर पर ही संतोष करना पड़ेगा.
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आम जनता पर बदले नियमों का पड़ेगा सीधा असर
सितंबर से लागू होने वाले इन नए नियमों का सीधा असर आम जनता की जेब और जीवनशैली पर पड़ेगा. चांदी की हॉलमार्किंग अनिवार्य होने से उपभोक्ताओं को शुद्ध धातु की गारंटी तो मिलेगी, लेकिन इसकी कीमत बढ़ने की पूरी संभावना है. वहीं, क्रेडिट कार्ड धारकों को अतिरिक्त शुल्क और नियमों में बदलाव का बोझ झेलना पड़ेगा. डाक विभाग की नई व्यवस्था के तहत रजिस्ट्री की प्रक्रिया भी बदल जाएगी, जिससे पारंपरिक तरीके समाप्त हो जाएंगे. इसके अलावा जीएसटी सुधारों से जहां उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है, वहीं बैंकों की एफडी दरों में संभावित कटौती निवेशकों की आमदनी को प्रभावित करेगी. कुल मिलाकर, ये बदलाव सीधे लोगों की जेब और रोजमर्रा की जरूरतों पर असर डालेंगे.