
“विज्ञान की दुनिया में आज एक ऐसा चमत्कार हुआ है, जिसने लाखों लोगों को नई उम्मीद जगा दी है। Google DeepMind ने कैंसर के इलाज में एक ऐसा इतिहास रच दिया है, जिसे भविष्य की चिकित्सा दिशा बदल सकती है.”
“Google DeepMind और Yale University ने मिलकर बनाया है एक क्रांतिकारी AI मॉडल — Cell2Sentence-Scale 27B, जिसको C2S-Scale27B भी कहा जाता है. 27 अरब पैरामीटर वाला ये मॉडल Google के ओपन-सोर्स AI परिवार **Gemma का हिस्सा है, और इसका मिशन है — ह्यूमन सेल्स की भाषा को समझना.” ये AI मॉडल उन ट्यूमर्स को पहचाने में मदद करता है जिसे ‘कोल्ड ट्यूमर्स’ कहते हैं यानी ऐसे कैंसर सेल्स जो शरीर के इम्यून सिस्टम से छिपे रहते हैं. लेकिन अब DeepMind का मॉडल इन्हें 'हॉट ट्यूमर्स' में बदल सकता है — यानी इम्यून सिस्टम के लिए विज़िबल हो सकता है।.

आपको बता दे कि इस मॉडल ने 4000 से ज़्यादा दवाओं का सिमुलेशन किया और उसमें पाया गया कि Silmitasertib (CX-4945) नाम की दवा इंटरफेरॉन के साथ मिलकर ट्यूमर को इम्यून सिस्टम के लिए दिखाई देने योग्य बना देती है. जब इसे लैब में कैंसर सेल्स पर टेस्ट किया गया, तो ट्यूमर की विजिबिलिटी में करीब 50% तक की वृद्धि देखी गई.”
इस खोज का मतलब है कि इम्यूनोथेरेपी अब उन मरीजों के लिए भी अधिक प्रभावी हो सकती है, जिनके ट्यूमर अब तक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से छिपे रहते थे. Google के CEO सुंदर पिचाई ने इस खोज को AI विज्ञान का ‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’ बताया है. हालांकि अभी इस तकनीक पर क्लिनिकल ट्रायल जारी हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में यह कैंसर के इलाज की दिशा पूरी तरह बदल सकती है. AI, जो कभी मशीनों की सोच भर था, अब जीवन बचाने की नई कहानी लिख रहा है.”




