वाराणसी: वाराणसी में इस साल नवंबर के अंत में देशभर के गोपालक और गोसंवर्धन से जुड़े विशेषज्ञ एक मंच पर जुटेंगे. 29 नवंबर से 1 दिसंबर 2025 तक सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मैदान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय गो-सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. इस सम्मेलन का उद्देश्य गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना, गो-संवर्द्धन को बढ़ावा देना और किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित करना है.
सम्मेलन की जानकारी प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने दी.उन्होंने बताया कि देशभर से गो संरक्षण और संवर्धन पर काम कर रही संस्थाओं और विशेषज्ञों की भागीदारी इस कार्यक्रम को विशेष बनाएगी. यहां गोपालकों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिलेगा ताकि वे गोशालाओं को आय का केंद्र बना सकें और गायों की देखभाल आधुनिक तरीकों से कर सकें.
प्राकृतिक खेती और स्वास्थ्य पर फोकस
गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में खेतों में रसायनों का अत्यधिक उपयोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है. इसका समाधान प्राकृतिक खेती की ओर लौटना है. सम्मेलन में इसी विषय पर विशेष सत्र होगा, जिसमें किसानों को यह बताया जाएगा कि गोवंश आधारित उत्पादों से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाकर बिना रसायनों के खेती कैसे संभव है.
गोशालाओं का विकास और प्रशिक्षण केंद्र
उत्तर प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग 7717 गोशालाओं में करीब 12 लाख 58 हजार गोवंश आश्रय पा रहे हैं. आयोग का लक्ष्य है कि इन गोशालाओं को सिर्फ आश्रय स्थलों तक सीमित न रखकर उन्हें प्रशिक्षण केंद्रों में बदला जाए. यहां से प्राकृतिक कृषि, बायोगैस ऊर्जा उत्पादन और पंचगव्य उत्पाद (जैसे गोमूत्र, गोबर, दही, दूध और घी आधारित औषधि व जैविक उत्पाद) को बढ़ावा दिया जाएगा.
बैठक में उठे महत्वपूर्ण मुद्दे
सोमवार को कमिश्नरी सभागार में हुई मंडल स्तरीय अनुश्रवण समिति की बैठक में गुप्ता ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की. उन्होंने कहा कि अलग-अलग ब्लॉकों में भूसे के अलग-अलग दाम तय करना उचित नहीं है, इसलिए दरें समान की जानी चाहिए. साथ ही, गोआश्रय स्थलों पर पुलिस पेट्रोलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए और किसी भी तरह की अव्यवस्था पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. इस तीन दिवसीय सम्मेलन से उम्मीद की जा रही है कि न केवल गोशालाओं की दशा सुधरेगी, बल्कि किसानों और गोपालकों को भी नए अवसर मिलेंगे। गो-संवर्धन, प्राकृतिक खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में यह आयोजन एक बड़ा कदम माना जा रहा है.