तीज की गुजिया खतम ही नहीं हुई कि मोदक ने सभी को अपनी ओर खींच लिया है . हर साल की तरह इस साल भी बाजार दुल्हन सी सजी है मानो विघ्न हर्ता के आगमन से बलाये भी टल गई . गणेश चतुर्थी को बप्पा के जनम दिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है .लोग अपने व्यापार , घरों और दुकानों में पूरे जोश और उत्साह के साथ दस दिनों तक बप्पा का जन्मोत्सव मनाते हैं . मान्यता यह है की हमारे हिन्दू धर्म में बिना गणपति की पूजा करे कोई कार्य सफल नहीं होता. वही शुभ अवसर समीप है जब गणपति हमारे सामने विराजमान होंगे .
क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी ?
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है . धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी तिथि को माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र गणेश जी का जन्म हुआ था. इसीलिए इस दिन को विशेष रूप से गणपति की आराधना और स्थापना के लिए शुभ माना जाता है .
धार्मिक महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (बाधाओं को दूर करने वाले) और सिद्धिदाता (सफलता व समृद्धि देने वाले) माना जाता है . ऐसा विश्वास है कि गणेश चतुर्थी पर पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा करने से जीवन से सभी बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है .
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस पर्व को सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की थी . बाद में स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के साधन के रूप में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक उत्सव का रूप दिया . तभी से गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का पर्व भी बन गया .
जाने कब है गणेश चतुर्थी ...
इस वर्ष गणेश चतुर्थी बुधवार, 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी . यह पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी तिथि पर पड़ता है, जो 26 अगस्त 2025 दोपहर 1:54 बजे से शुरू होकर अगले दिन (27 अगस्त) दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी .
पर्व का महत्व और उत्सव की रूपरेखा ...
गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश विघ्नों के हरकर्ता और बुद्धि तथा समृद्धि के देवता की पूजा का आनंदमय और भक्तिपूर्ण अवसर है . यह उत्सव दस दिनों तक चलता है और अंततः अनंत चतुर्दशी (6 सितंबर 2025) को गणेश विसर्जन के साथ संपन्न होता है .
इस फेस्टिवल के दौरान घरों और पंडालों में भव्य सजावट, संगीत, आरती और समुदायिक उत्साह देखा जा सकता है . यह त्योहार न केवल आध्यात्मिक होता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है .
गणेश चतुर्थी से जुडी ख़ास बातें ...
गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है . इसमें धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक रंग भी जुड़ जाते हैं . इसकी कुछ खास बातें इस प्रकार हैं –
- जन्मोत्सव
यह पर्व भगवान गणेश के जन्म की याद में मनाया जाता है .
मान्यता है कि इस दिन गणपति की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं .
- स्थापना और पूजा
घरों और पंडालों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है .
भक्त 10 दिनों तक प्रतिदिन आरती, पूजा और भजन करते हैं .
गणेश जी को मोदक बेहद प्रिय माना जाता है, इसलिए उन्हें मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है .
- सांस्कृतिक महत्व
यह पर्व महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है .
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे आज़ादी के आंदोलन के समय जन-आंदोलन और एकता का प्रतीक बना दिया था .
- विसर्जन
दसवें दिन अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन होता है .
‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के जयकारों के साथ गणेश जी को जल में विदा किया जाता है .
- सांस्कृतिक महत्व
यह पर्व महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में काफी धूमधाम से मनाया जाता है .
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे आज़ादी के आंदोलन के समय जन-आंदोलन और एकता का प्रतीक बना दिया था .