वाराणसी: काशी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती इस बार विशेष परिस्थितियों में दिन के समय कराई जाएगी. रविवार, 7 सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण को देखते हुए गंगा सेवा निधि ने आरती के समय में बदलाव किया है. तय कार्यक्रम के अनुसार मां गंगा की भव्य आरती दोपहर 12 बजे से प्रारंभ होकर ग्रहण के सूतक काल से पहले सम्पन्न कर दी जाएगी.
अध्यक्ष ने दी जानकारी
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि परंपरा और धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए आरती का समय बदला गया है. ग्रहण से पहले मां गंगा की आरती अपने परंपरागत वैदिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि पिछले 34 वर्षों में यह केवल पांचवीं बार है, जब दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती दिन में होगी.
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कब-कब बदला गया आरती का समय
इतिहास पर नजर डालें तो इससे पहले भी चंद्र या सूर्य ग्रहण के कारण आरती के समय में बदलाव किया गया था.
7 अगस्त 2017 को चंद्र ग्रहण के चलते दिन में आरती हुई थी.
27 जुलाई 2018 को भी चंद्र ग्रहण की वजह से आरती दोपहर में कराई गई.
16 जुलाई 2019 को एक बार फिर यही परंपरा निभाई गई.
28 अक्टूबर 2023 को भी ग्रहण की स्थिति में गंगा आरती दोपहर में सम्पन्न कराई गई थी.
इसी क्रम में अब 7 सितंबर 2025 को पांचवीं बार दिन में गंगा आरती कराई जाएगी.
बढ़े जलस्तर के बीच हो रही आरती
गौरतलब है कि इन दिनों गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ा हुआ है. इसी कारण मां गंगा की आरती दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों पर न होकर ऊपर बने छत पर सम्पन्न कराई जा रही है. इस व्यवस्था के बावजूद हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से पहुंचकर गंगा आरती का दिव्य दर्शन कर रहे हैं.
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क्यों बदलता है आरती का समय?
हिंदू परंपरा के अनुसार ग्रहण काल और सूतक काल में धार्मिक अनुष्ठान व पूजा-अर्चना नहीं की जाती है, ऐसे में दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध काशी की गंगा आरती, जो काशी की पहचान बन चुकी है, ग्रहण के समय स्थगित न हो, इसलिए इसे पहले ही सम्पन्न कर लिया जायेगा. इस बार का आयोजन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखेगा, क्योंकि वर्षों बाद दिन में मां गंगा की आरती का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा.