वाराणसी: धर्मनगरी काशी के श्रीसत्यनारायण तुलसी मानस मंदिर में रविवार को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहल के रूप में राम काव्य वीथिका का लोकार्पण किया गया .इस विशेष आयोजन का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने किया.
राम काव्य वीथिका की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति, धर्म और साहित्य में अमिट स्थान रखने वाले रामायण के विविध स्वरूपों को एक मंच पर प्रस्तुत करना है. इस वीथिका में न केवल भारतीय भाषाओं बल्कि विदेशी भाषाओं में भी रामायण पर आधारित महत्वपूर्ण पुस्तकों का संग्रह और प्रदर्शन किया गया है. प्रदर्शनी में आगंतुकों को यह अनुभव होता है कि किस प्रकार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की गाथा सीमाओं से परे जाकर संपूर्ण विश्व के साहित्य और संस्कृति को प्रभावित करती रही है.
उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए डॉ. दयालु ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राम काव्य वीथिका वास्तव में ज्ञान और भक्ति का अद्भुत संगम है. उनके अनुसार, यह प्रयास उन लोगों के लिए एक अमूल्य धरोहर है, जो श्रीराम कथा का अध्ययन, अध्यापन और गहन चिंतन करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि रामायण केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला का मार्गदर्शक भी है और ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को इसकी गहराई से परिचित कराने में सहायक होगी.
इस मौके पर तुलसी शोध संस्थान से जुड़े विद्वान त्रिलोचन प्रसाद शर्मा ने जानकारी दी कि यह वीथिका दरअसल मानस पं. पुस्तकालय की ओर से आयोजित प्रदर्शनी का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि इसका मूल उद्देश्य दर्शनार्थियों को रामायण की विविध परंपराओं, भाषाई रूपों और उसकी सार्वकालिक महत्ता से रूबरू कराना है. श्रीराम की गाथा केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विश्वभर की सभ्यताओं ने इससे प्रेरणा पाई है. यही कारण है कि इस वीथिका में कई विदेशी भाषाओं की रामकथाएँ भी विशेष रूप से स्थान पा रही हैं.
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राम काव्य वीथिका का लोकार्पण न केवल साहित्य और संस्कृति प्रेमियों के लिए आनंद का विषय है, बल्कि यह वाराणसी के धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को भी नई दिशा देगा. मंदिर आने वाले श्रद्धालु यहां रामायण की विभिन्न कृतियों और उनके अनुवादों को देखकर भारतीयता के उस स्वरूप का अनुभव करेंगे, जो भाषा और सीमा से परे है.