वाराणसी: काशी के गंगा घाटों पर इस बार मानसून के दौरान गंगा के बढ़े जलस्तर और तेज बहाव के कारण भारी मात्रा में सिल्ट (बालू-मिट्टी) जम गई है. पानी उतरने के बाद घाटों की सीढ़ियाँ और आसपास के क्षेत्र मोटी परत से ढक गए हैं .इससे न केवल श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों को परेशानी हो रही है बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों और पर्यटक गतिविधियों पर भी असर पड़ा है.
सफाई अभियान शुरू
नगर निगम और गंगा सेवा दल की संयुक्त टीमों ने घाटों की सफाई का विशेष अभियान शुरू किया है. बड़ी मशीनों की मदद से सिल्ट हटाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है. नगर आयुक्त ने बताया कि खासकर दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, पंचगंगा घाट और राजेंद्र प्रसाद घाट पर सबसे अधिक सिल्ट जमा है. सुबह-शाम आरती और स्नान करने वालों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए प्राथमिकता के आधार पर इन घाटों की सफाई कराई जा रही है.
श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी
गंगा स्नान के लिए देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को सीढ़ियों पर फिसलन और गंदगी का सामना करना पड़ रहा है. वाराणसी के स्थानीय पंडों ने बताया कि कई बार स्नान के दौरान लोग फिसल भी गए हैं. वहीं पर्यटकों का कहना है कि गंगा घाटों का दृश्य मानसून के बाद पहले जितना भव्य नहीं दिखता.
प्रशासन का दावा
प्रशासन का कहना है कि आने वाले त्यौहारों से पहले सभी प्रमुख घाटों को पूरी तरह से साफ कर दिया जाएगा .मशीनों के साथ-साथ बड़ी संख्या में सफाई कर्मी भी तैनात किए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, मानसून के बाद हर साल सिल्ट जमना स्वाभाविक है, लेकिन इस बार पानी का बहाव तेज होने से परत मोटी हो गई है.
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गंगा सेवकों की भूमिका
स्थानीय स्वयंसेवी संगठन और गंगा सेवक भी सफाई कार्य में योगदान दे रहे हैं. गंगा सेवा समिति के प्रमुख ने बताया कि घाटों की स्वच्छता न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जरूरी है.