Varanasi: भारत को आज़ाद हुए 78 साल बीत गए . यह एक लंबे संघर्ष, बलिदान, जनआंदोलनों और आजादी के लिए लड़ने की गाथा है. यह सिर्फ एक दिन की घटना नहीं थी,बल्कि 200 सालों से ज़्यादा चले अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ़ एक विशाल और जटिल आंदोलन का परिणाम था .यह सफर केवल राजनेताओं, क्रांतिकारियों और सेनानियों का ही नहीं था, बल्कि समाज के उन तबकों का भी था जिन्हें इतिहास ने अक्सर भुला दिया. उनमें बनारस की तवायफ़ें भी शामिल रहीं.
इन महिलाओं ने आज़ादी के संघर्ष में जो भूमिका निभाई, वह सराहनीय ही नहीं, बल्कि प्रेरणादायक भी रही है. ...और उन्हें इस आज़ादी की भारी कीमत भी चुकानी पड़ी.
बनारस- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, बनारस की दालमंडी में बसा था तवायफ़ों का संसार, ये महिलाएं केवल नृत्य-गायन की कलाकार ही नहीं थीं, बल्कि देशभक्ति से लबरेज़ जागरूक नागरिक भी थीं. अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान जब देशवासी आज़ादी की चिंगारी जगा रहे थे, तब बनारस की तवायफ़ें भी इस जंग में कूद पड़ीं. उन्होंने अपने कोठों को आज़ादी के आंदोलन का अड्डा बना दिया, जहां एक तरफ आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे देश भक्त(क्रांतिकारियों) को पनाह मिली. वे अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ छुप कर लड़ने की योजनाए बनाते , वहीं दूसरी तरफ अंग्रेजों की नज़र से बचकर संदेश एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाते. कई तवायफ़ें खुद भी गुप्तचर बनकर अंग्रेज़ी हुकूमत की जानकारी क्रांतिकारियों तक पहुंचाती थीं.
इतना ही नहीं, 19वीं शताब्दी के शुरुआत में यहां के कई चौराहे और गलियों में महफिल सजती थी. (बनारस) चौक थाने के पास भी यह सजाई जाती थी. यहां अक्सर तवायफ़ अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरण करती थीं. वे देशभक्ति गीत गाकर लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ़ खड़ा होने की प्रेरणा देती थीं. काशी के राज दरबारों, रईसों की कोठियों के अलावा मंदिरों और मठों में भी इनकी संगीत की महफिल जमा करती थी.
उनके द्वारा सजाई गई संगीत की महफिल से तथा रईसों से पैसा जुटाकर क्रांतिकारियों को मुहैया कराया जाता था. इनकी महफिल अक्सर शाम छह बजे के बाद ही सजती थी. इसमें मिलने वाले पैसों को वह चुपके से क्रांतिकारियों को दिया करती थीं. इसको लेकर कई बार अंग्रेज अफसरों ने उनके यहां छापा भी मारा था.
गौहर जान, मोहम्मदी बेगम, हुस्नाबाई ,अजीजन बाई ,जद्दन बाई आदि तवायफों का योगदान स्वतंत्रता के आंदोलन में महत्वपूर्ण रहा है .