
वाराणसी : कचहरी में पुलिस और अधिवक्तावओं के विवाद के प्रकरण को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि वाराणसी में वकीलों और पुलिस के बीच लगातार बढ़ता विवाद भाजपा सरकार की नाकामी का जीता-जागता सबूत है. वकील और पुलिस समाज के दो अहम स्तंभ हैं, लेकिन आज दोनों पक्ष आमने-सामने हैं और सरकार मूकदर्शक बनी तमाशा देख रही है. यह सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सरकार की संवेदनहीनता भी है. वकील केवल पेशेवर लोग नहीं, बल्कि समाज में न्याय और संविधान की रक्षा करने वाले प्रहरी हैं. जब वही वकील अन्याय और उत्पीड़न का शिकार हों, तो यह पूरे लोकतंत्र पर हमला है.

वकील - पुलिस में सामंजस्य बनाना सरकार की जिम्मेदारी
वकील और पुलिस दोनों समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं. दोनों के बीच सामंजस्य बनाना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन भाजपा सरकार की संवेदनहीनता के कारण स्थिति और बिगड़ती जा रही है. काशी के सांसद नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत सारे जनप्रतिनिधि इस पूरे प्रकरण पर चुप क्यों हैं? क्या वाराणसी के वकीलों का दर्द उन्हें दिखाई नहीं देता? प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को चाहिए कि तत्काल हस्तक्षेप कर इस विवाद को शांत कराए और वकीलों की सुरक्षा एवं सम्मान की गारंटी दें. लेकिन अफसोस है कि भाजपा के नेताओं की प्राथमिकता जनता और वकीलों की समस्याए नहीं, बल्कि केवल अपनी सत्ता बचाना है.

हस्तक्षेप कर निकालें समाधान
अजय राय ने कहा कि हम मांग करते है की तत्काल सरकार हस्तक्षेप करके प्रशासन, न्यायिक अधिकारी और वकील समुदाय के बीच तत्काल संवाद स्थापित किया जाए ताकि टकराव की जड़ को पहचानकर उसका स्थायी समाधान निकाला जा सके. प्रतिशोध के बजाय न्यायिक मंचों और वैधानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से ही समस्याओं का निवारण होना चाहिए. हम सभी संबंधित पक्षों से अपील करते हैं कि विधि-व्यवस्था, संयम और संवैधानिक सीमाओं का पालन करें. यह समय विवेक और सहनशीलता का है और इसलिए भी की इस सरकार की संवेदनहीनता किसी से छिपी नहीं है.





