
वाराणसी: पौराणिक व आध्यात्मिक नगरी काशी की आत्मा कहे जाने वाले गंगा घाट इस बार और भी भव्य रोशनी में जगमगाएंगे. देव दीपावली, जिसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है, 5 नवंबर को पूरे दिव्य और भव्य तरीके के साथ मनाई जाएगी. योगी सरकार और जनसहभागिता की भागीदारी से इस बार घाटों पर 10 लाख से अधिक दीप प्रज्ज्वलित होंगे. इनमें से एक लाख दीप गाय के गोबर से बने होंगे, जो पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनेंगे.

दिव्यता का अनुपम उत्सव
कार्तिक पूर्णिमा की रात जब गंगा की लहरों पर दीप प्रवाहित होते हैं और घाटों की सीढ़ियां दीपमालाओं से सज उठती हैं, तो दृश्य मानो धरती पर स्वर्ग उतर आने जैसा प्रतीत होता है. काशी की अर्धचंद्राकार घाट श्रृंखला दीपों से नहाकर विश्व को यह संदेश देती है कि आस्था और संस्कृति का यह संगम बेमिसाल है.

सरकार और जनता की साझी पहल
देव दीपावली को इस बार प्रांतीय मेला घोषित किया गया है. पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक दिनेश कुमार ने बताया कि इस अवसर पर घाटों पर 10 लाख दीप सजाए जाएंगे. इनमें डिजाइनर दीप भी शामिल होंगे. घाटों की विशेष साफ-सफाई, फसाड लाइटिंग और इलेक्ट्रिक सजावट से पूरा क्षेत्र दैदीप्यमान होगा.
जनता भी अपने स्तर पर दीप सजाकर इस उत्सव को सफल बनाती है. यही कारण है कि देव दीपावली केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं बल्कि हर काशीवासी का पर्व बन गया है.

गंगा महोत्सव में गूंजेगी संस्कृति
देव दीपावली से पहले 1 से 4 नवंबर तक राजघाट पर गंगा महोत्सव का आयोजन होगा. इसमें स्थानीय कलाकारों को मंच देकर काशी की सांस्कृतिक धरोहर को सजीव किया जाएगा.
इसके साथ ही चेत सिंह घाट पर होने वाला लेजर शो काशी की धार्मिक कथाओं और परंपराओं को नई तकनीक से जीवंत करेगा.

ग्रीन आतिशबाजी से पर्यावरण का संदेश
इस बार गंगा पार रेत पर प्रदूषण रहित ग्रीन आतिशबाजी होगी. यह प्रयोग केवल मनोरंजन नहीं बल्कि एक संदेश भी है कि आस्था और पर्यावरण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं. दीपों और आतिशबाजी का यह संयोजन घाटों से लेकर आसमान तक एक अलौकिक छटा बिखेरेगा.
पर्यटकों का मेला
देव दीपावली के अनुपम दृश्य को देखने हर साल देश और विदेश से लाखों पर्यटक काशी आते हैं. घाटों से लेकर होटलों और गेस्ट हाउस तक हर जगह चहल-पहल रहती है. नाव, बाजरा, बोट और क्रूज़ महीनों पहले ही बुक हो जाते हैं. विदेशी पर्यटक इस अद्वितीय आयोजन को जीवनभर की यादों में संजोने वाराणसी पहुंचते हैं.
देव दीपावली क्यों है खास?
पर्यटन और आस्था का अद्भुत संगम. काशी की देव दीपावली केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और पर्यावरण का अनोखा संगम है. इस बार 10 लाख दीपों की जगमगाहट न केवल काशी की दिव्यता को चार चांद लगाएगी, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए एक ऐतिहासिक मिसाल भी बनेगी.





