वाराणसी : आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार मतदाताओं की पहचान
और भी सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने नया कदम
उठाया है. विधानसभा चुनाव की तरह अब पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट में भी
प्रत्येक मतदाता के नाम के आगे एक अलग स्टेट वोटर नंबर (SVN) दर्ज किया
जाएगा. यह नंबर नौ अंकों का होगा, जो प्रदेश, जिला, ब्लॉक और मतदाता का
क्रमांक बताएगा.
किसी अन्य गांव या नगरीय क्षेत्र में वोटर बनने पर नहीं बच पाएंगे मतदाता
अब तक अक्सर यह शिकायत सामने आती थी कि एक ही मतदाता का नाम अलग-अलग स्थानों की वोटर लिस्ट में दर्ज होता है. इस कारण चुनाव के दौरान गड़बड़ी की आशंका
बनी रहती थी. लेकिन अब 9 अंकों का यह स्टेट वोटर नंबर हर मतदाता को उसकी
स्थायी पहचान देगा.
यदि कोई मतदाता स्थानांतरित होकर किसी अन्य गांव या नगर क्षेत्र में वोटर बनना
चाहता है, तो उसके SVN नंबर से तुरंत पहचान हो जाएगी. इस स्थिति में उसे अपने
पुराने क्षेत्र से नाम हटवाना अनिवार्य होगा. यानी अब दो जगह पर वोटर बनने की
गुंजाइश खत्म हो जाएगी.
पारदर्शिता पर जोर
निर्वाचन आयोग का मानना है कि इस प्रक्रिया से मतदाता सूची अधिक पारदर्शी बनेगी
और विपक्ष को भी किसी तरह की शिकायत का अवसर नहीं मिलेगा. हालांकि इसकी सफलता का परीक्षण तो चुनाव के दौरान ही होगा, लेकिन फिलहाल आयोग ने पंचायतों
में पहले से मौजूद मतदाताओं के नाम के आगे SVN दर्ज करना शुरू कर दिया है.
वहीं, पुनरीक्षण के दौरान जो नए मतदाता जुड़ेंगे, उन्हें यह नंबर बाद में आवंटित
किया जाएगा.
ई-ब्लो एप बना मददगार
इस बार पंचायत चुनाव में बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) के काम को सरल बनाने
के लिए आयोग ने ई-ब्लो (EBLO) एप जारी किया है. इस एप के जरिए बीएलओ
मोबाइल फोन पर ही मतदाता का नाम दर्ज करने, संशोधन करने या मृतकों के
नाम हटाने जैसे काम कर सकेंगे. इस एप का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने के
लिए आयोग ने बीएलओ को प्रोत्साहन राशि भी देने का निर्णय लिया है.
जिले में मतदाता सूची का हाल
वर्तमान में वाराणसी जिले में पंचायत स्तर पर 2592 बूथ और लगभग 17.53 लाख
वोटर दर्ज हैं. सूची का पुनर्निरीक्षण अभी जारी है, और नए मतदाता बनने का अवसर
भी उपलब्ध है.
वहीं बनारस के ब्लॉकवार मतदाताओं की संख्या इस प्रकार है:
अंतिम प्रकाशन और चुनाव घोषणा
आयोग की ओर से मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 16 जनवरी को किया जाएगा।
इसके बाद ही पंचायत चुनाव की औपचारिक घोषणा होगी. यह कदम मतदाता सूची
को साफ-सुथरा बनाने और फर्जी वोटिंग पर रोक लगाने की दिशा में मील का पत्थर
साबित हो सकता है.