वाराणसी: शक्ति अराधना के महापर्व शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ 22 सितंबर, सोमवार से हो रहा है. नवरात्र के शुरू होने के साथ ही शिव नगरी शक्ति की साधना में डूब जायेगी. घरों से लेकर मंदिरों तक कलश स्थापित कर मां की पूजा अर्चना की जायेगी. पर खास ये कि आमतौर पर नौ दिनों का होने वाला नवरात्र इस बार दस दिन का होगा.
चतुर्थी तिथि दो दिन
ज्योतिर्विद पंडित चक्रपाणि भटट् के ने बताया कि नवरात्र के पहले पड़ने वाले पितृपक्ष में 14 दिन का ही होगा वहीं नवरात्र में चतुर्थी तिथि के दो होने के चलते नवरात्र इस बार दस दिन का होगा. इसलिए उदयातिथि के अनुसार श्री दुर्गा सप्तशति के पाठ संकल्प में ‘चतुर्थ्यां तदुपटि पंचक्यां तिथौ’ का उच्चारण किया जायेगा. पाठ की पूर्णाहुति बुधवार एक अक्टूबर को दिन में 2.36 बजे तक किया जा सकेगा.
गज पर आगमन शुभ
शारदीय नवरात्र में मां के आगमन और प्रस्थान के वाहन का बड़ा महत्व है. शास्त्रों में वाहन के प्रकार के अनुसार ही उसे प्रजा या सामान्य जन के लिए शुभ या कष्ट देने वाला बताया गया है. इस बार मां देवी दुर्गा का आगमन गज पर हो रहा है. जो धन धान्य से युक्त करते हुए सुवृष्टि का योग बना रहा है. वहीं मां का गमन यानि प्रस्थान दशमी गुरुवार को नर वाहन पर होगा. जिसका फल जन सामान्य के शुभ और संपन्नता वाला होगा.
महानिशा पूजन 29 सिंतबर को
पं भटट् बताते हैं कि इस बार सप्तमी तिथि सोमवार 29 सितंबर को पड़ रही है. जो दिन में 12.26 बजे तक ही है. इसके बाद अष्टमी तिथि लग जायेगी. इसलिए महानिशा पूजन व कलश स्थापन इसी दिन किया जाना श्रेयस्कर होगा. सोमवार को रात्रि 11.36 से 12.26 बजे तक महानिशा पूजन और कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त है. वहीं अष्टमी का व्रत 30 सितंबर मंगलवार को रखा जायेगा.