
वाराणसीः वरूणा नदी के तट पर पुराने पुल से नक्खी घाट के बीच हजारों मछलियां मरकर उतराई मिलीं. मृत मछलियों में बीड प्रजाति की चेलवा, पुठिया, गिरही एवं बाटा मुख्य रूप से हैं. इस बात की पुष्टि कार्यपालक अधिकारी, मत्स्य पालक विकास अभिकरण ने की. वहीं क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण ने जानकारी दी कि वरुणा नदी में जहां मछिलयां मरी पाई गई वहां आस-पास काफी मात्रा में कूड़ा-कचरा पानी में फेंका मिला. वरुणा नदी में शहर के सीवर का पानी नालों से बहाये जाने के कारण नदी का पानी काला हो गया है. नदी में सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लांट न होने के कारण यह पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है.
पानी में बढ़ी कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा
बताया गया कि इधर 2-3 दिनों में बारिश के मौसम के कारण बादल छाये होने की दशा में पानी में ऑक्सिजन लेवल जहां कम हो गया है वहीं सीवर का प्रदूषित पानी नदी में बहाये जाने से पानी में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ गई होगी. इसके चलते पानी साफ करने में सहायक हजारों मछलियां काल के गाल में समा गईं.

गंदगी के चलते पानी में कम हुआ आक्सीजन
जांच के दौरान वरुणा नदी में प्रवाहित जल के नमूनों को एकत्रित कर परीक्षण क्षेत्रीय कार्यालय की प्रयोगशाला में कराया गया. परीक्षण में वरुणा नदी में प्रवाहित जल के नमूने में नक्खी घाट पर विघटित ऑक्सीजन (डी०ओ०) -0.5 मि0ग्रा0/ ली०, नक्खी घाट के पश्चात् विघटित ऑक्सीजन (डी०ओ०)-0.5 मि0ग्रा0/ली० तथा पुराने पुल पर विघटित ऑक्सीजन (डी०ओ०)-0.4 मिग्रा/ली पायी गयी. इससे मालूम चला कि वरुणा नदी में विघटित ऑक्सीजन की मात्रा में कमी होने के कारण मछिलयां मरीं.

नाले का पानी सीधे जा रहा वरुणा नदी में
जांच के दौरान चौंकाने वाला मामला यह भी सामने आया कि जहां मछिलयां मरीं पाई गई वहां आसपास के वरुणा नदी के दोनों तट पर बने नालों का गंदा पानी इंटरसेप्टर के ओवरफ्लो के कारण नदी में सीधे जा रहा है जिससे वरूणा नदी की जल गुणवत्ता लगातार प्रभावित हो रही है. जांच के दौरान मौके पर ओवर ब्रिज से लोगों को पूजा-पाठ सामग्री एवं कूड़ा कचरा सीधे नदी में भी फेकते हुए देखा गया जो पानी को दूषित कर रहा है.
इस तरह बढ़ सकती है पानी में आक्सीजन की मात्रा
विशेषज्ञों की माने तो वरुणा नदी में नक्खी घाट के ओवर ब्रिज से लगभग 01 कि०मी० एरिया / जलक्षेत्र में लगभग 20-25 टन बूझा चूना छिड़काव तत्काल करवाने से पानी का कालापन साफ कर पानी में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाया जा सकता है. इससे मछलियों को मृत होने से बचाया जा सकता है. दूसरी ओर अपर नगर आयुक्त ने सफाई दी कि वरूणा नदी की सतह पर तैरने वाले प्लास्टिक वेस्ट, जलकुम्भी, माला-फूल, नदी में अर्पित की गयी सामग्री आदि की साफ सफाई के लिए रोस्टरवार ट्रैस स्कीमर चलाया जाता है. साथ ही समय-समय पर एंटी लार्वा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जाता है.




