वाराणसी : खग्रास चंद्रग्रहण 7 सितंबर 2025 (भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, रविवार) को लगेगा. इस अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की परंपराओं के अनुरूप पूजा-पद्धति और आरती की समय-सारणी में विशेष बदलाव किया गया है. ग्रहण की अवधि में मंदिर के कपाट बंद रहेंगे और ग्रहण मोक्ष के बाद ही श्रद्धालुओं के लिए पुनः दर्शन-पूजन की व्यवस्था होगी.
ग्रहण के दिन बदले जाएंगे आरती-पूजा के समय
मंदिर प्रशासन ने बताया कि 7 सितंबर को ग्रहण के दिन आरती और पूजा का क्रम सामान्य दिनों से अलग रहेगा.
संध्या आरती : शाम 4:00 से 5:00 बजे तक
शृंगार भोग आरती : शाम 5:30 से 6:30 बजे तक
शयन आरती : शाम 7:00 से 7:30 बजे तक
शयन आरती के तुरंत बाद मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाएगा. ग्रहण की समाप्ति के उपरांत परंपरा के अनुसार मंदिर का शुद्धिकरण और विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी. इसके बाद ही श्रद्धालुओं के लिए बाबा विश्वनाथ के कपाट दोबारा खोले जाएंगे.
ग्रहण का समय और सूतक काल
पंडितों के अनुसार खग्रास चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9:57 बजे से शुरू होगा,
स्पर्श (आरंभ) : रात 9:57 बजे
मध्य : रात 11:41 बजे
मोक्ष (समाप्ति) : 8 सितंबर की भोर 1:27 बजे
धर्मशास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक काल प्रारंभ हो जाता है. इसलिए ग्रहण का सूतक 7 सितंबर की सुबह से ही प्रभावी हो जाएगा। इस अवधि में भोजन, पूजा और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं.
शुद्धिकरण और विशेष पूजा-अर्चना
ग्रहण समाप्त होने के बाद परंपरा के अनुसार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में शुद्धिकरण प्रक्रिया की जाएगी. इसमें गर्भगृह और मंदिर परिसर का स्नान, शुद्धि और विशेष वैदिक मंत्रोच्चारण से पूजा-अर्चना शामिल होगी. इसके उपरांत ही श्रद्धालुओं को पुनः बाबा विश्वनाथ के दर्शन का अवसर मिलेगा.
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श्रद्धालुओं से अपील
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे ग्रहण के समय धर्मशास्त्रों के निर्देशों का पालन करें. इस दौरान भोजन और मांगलिक कार्यों से परहेज़ करें तथा मंत्र जाप, स्तोत्र पाठ, भजन-कीर्तन और ध्यान में समय व्यतीत करें.