
वाराणसी: रामनगर की विश्व प्रसिद्ध और यूनेस्को की धरोहर में शामिल रामलीला शनिवार सात सितंबर से प्रारंभ हो रही है. इस बार इसकी शुरुआत अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर होगी. पहले दिन की भव्य झांकी में क्षीरसागर और रावण के जन्म की लीला प्रस्तुत की जाएगी. इसके साथ ही एक माह तक चलने वाले इस सांस्कृतिक और धार्मिक महोत्सव का श्रीगणेश हो जाएगा.

सदियों पुरानी परंपरा, विश्व स्तर पर मान्यता
रामनगर की रामलीला का इतिहास कई सौ वर्षों पुराना है. यह न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे अपनी अनोखी परंपरा, भव्यता और सांस्कृतिक महत्व के कारण वैश्विक पहचान प्राप्त है. यहां त्रेता युग की लीलाएं इतने वास्तविक रूप में प्रस्तुत की जाती हैं कि दर्शकों को मानो वे घटनाएं प्रत्यक्ष रूप से घटित होती दिखाई देती हैं.

तैयारियों को दिया गया अंतिम रूप
नगर निगम और किला प्रशासन ने शुक्रवार को सभी स्थलों पर व्यापक तैयारियां पूरी कर ली हैं. रामबाग पोखरा व आसपास के क्षेत्रों में विशेष सफाई अभियान चलाया गया. रावण जन्म स्थल पर पानी निकासी के बाद गिट्टी और बालू डालकर भूमि को समतल किया गया. इसके साथ ही सभी प्रमुख लीला स्थलों पर रंगाई-पुताई और सजावट पूरी कर ली गई है. वहीं अयोध्या मैदान को नया रूप देकर दर्शकों के लिए सुसज्जित बनाया गया है.

पुतलों और पारंपरिक बग्घियों की तैयारी
रामलीला में प्रयुक्त होने वाले पुतलों का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. शिल्पकारों ने शुरुआती 15 दिनों की लीलाओं के लिए आवश्यक सभी पुतलों को तैयार कर दिया है. शेष पुतलों पर अंतिम चरण का कार्य जारी है. इसके साथ ही पारंपरिक बग्घियों का रिहर्सल शुक्रवार को किला रोड पर होगा, जिसे देखने के लिए स्थानीय लोग भी उत्सुक रहते हैं.
सुरक्षा और यातायात व्यवस्था
भव्य आयोजन में भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सख्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं—

अनंत चतुर्दशी का धार्मिक महत्व
इस बार रामनगर की रामलीला का शुभारंभ अनंत चतुर्दशी (6 सितंबर) को हो रहा है.
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. भक्तजन रेशम के धागे में 14 गांठें लगाकर पूजा करते हैं. विधिपूर्वक पूजन और व्रत करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है.
श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम
रामनगर की रामलीला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का जीवंत उदाहरण है. आने वाले दिनों में जब भगवान राम के जीवन की विभिन्न लीलाओं का मंचन होगा, तब पूरा रामनगर भक्ति, श्रद्धा और उत्सव के रंगों से सराबोर हो उठेगा. यह आयोजन न केवल काशी की पहचान है बल्कि भारत की संस्कृति और परंपरा की विरासत को वैश्विक मंच पर जीवित रखने वाला अद्वितीय उदाहरण भी है.





