वाराणसी : अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले सामान पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के फैसले ने भारतीय बाजार में खलबली मचा दी है. बड़े व्यापारिक घरानों के ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं, पेमेंट होल्ड कर दिए गए हैं और एक्सपोर्ट सेक्टर में असमंजस का माहौल है. लेकिन इस सबके बीच वाराणसी के काष्ठ कला उद्योग से जुड़े कलाकारों और कारोबारियों ने साहसिक रुख अपनाते हुए अमेरिका का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.
अमेरिका नहीं, भारत ही पर्याप्त बाजार
प्रदेश स्तर पर पुरस्कृत काष्ठ कला कलाकार "ओम प्रकाश शर्मा" का कहना है कि भारत से अमेरिका तक करीब 25 से 30 प्रतिशत काष्ठ की मूर्तियां और खिलौने भेजे जाते हैं. ट्रंप के अचानक टैरिफ 50 प्रतिशत तक बढ़ा देने से यह कारोबार प्रभावित जरूर होगा, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है. ओम प्रकाश शर्मा ने साफ कहा – “अमेरिका यदि हमारा सामान नहीं लेगा तो हमें कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि भारत में ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) योजना के तहत पहले से ही 75 प्रतिशत कारोबार हो रहा है”
"गुंडई की नीति" का विरोध
शर्मा ने राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम को सीधे तौर पर “गुंडई की नीति” करार दिया. उनका कहना है कि यह फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया है, जिसका खामियाजा न सिर्फ भारतीय कारोबारियों बल्कि अमेरिकी बाजार को भी उठाना पड़ेगा .उन्होंने कहा – “यदि एक रास्ता बंद होता है, तो चार नए रास्ते खुलते हैं. हमें अपने उत्पादों की गुणवत्ता और देश के बाजार पर पूरा भरोसा है”.
काष्ठ कलाकारों में आत्मविश्वास
टैरिफ बढ़ने से जहां कई उद्योगों में डर का माहौल है, वहीं वाराणसी के काष्ठ कलाकार पूरी तरह आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. उनका मानना है कि भारतीय परंपरागत कला और खिलौनों की इतनी बड़ी मांग देश और दुनिया में है कि अमेरिका पर निर्भरता की कोई आवश्यकता नहीं. अमेरिकी टैरिफ फैसले से जहां कई उद्योग हतोत्साहित हैं, वहीं वाराणसी की काष्ठ कला ने यह संदेश दिया है कि आत्मनिर्भरता और स्थानीय बाजार ही असली ताकत है. अमेरिका का बहिष्कार कर भारतीय कलाकारों ने आत्मगौरव का परिचय दिया है.