वाराणसी - त्योहारों का सीजन शुरू होने से पहले ही ट्रेनों में सीटों की भारी किल्लत नजर आने लगी है. दशहरा, दीपावली और छठ पूजा में अभी करीब दो महीने का समय बाकी है, लेकिन दिल्ली से पूर्वांचल और बिहार जाने वाली ज्यादातर ट्रेनों में रिजर्वेशन की स्थिति “नो रूम” या लंबी वेटिंग तक पहुंच चुकी है. रेलवे ने 60 दिन पहले ही एडवांस बुकिंग के लिए विंडो खोली थी. जैसे ही 20 अगस्त को 19 अक्टूबर की यात्रा के लिए टिकट बुकिंग शुरू हुई, देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में सभी क्लास की सीटें भर गईं .
एसी कोचों तुरंत फुल, स्लीपर में लंबी वेटिंग
जानकारी के अनुसार, दिल्ली से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर आने वाली प्रमुख ट्रेनों में सेकंड एसी, थर्ड एसी और फर्स्ट एसी के कोचों की बुकिंग कुछ ही मिनटों में फुल हो गई. वहीं स्लीपर क्लास में भारी वेटिंग नंबर देखने को मिल रहे हैं. उदाहरण के तौर पर नई दिल्ली–राजेंद्र नगर टर्मिनल, तेजस राजधानी एक्सप्रेस, ई दिल्ली–डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति सुपरफास्ट, विक्रमशिला एक्सप्रेस, पूर्वा एक्सप्रेस और मगध एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में बुकिंग क्लोज हो चुकी है. ब्रह्मपुत्र मेल, सीमांचल एक्सप्रेस, नॉर्थ ईस्ट सुपरफास्ट और पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में भी लंबी वेटिंग या रिग्रेट की स्थिति है.
नई दिल्ली–मालदा टाउन एक्सप्रेस में स्लीपर क्लास में रिग्रेट दिख रहा है, जबकि थर्ड एसी में 150 से ज्यादा वेटिंग दर्ज हो चुकी है. आनंद विहार से पटना जाने वाली स्पेशल ट्रेनों में भी वेटिंग की स्थिति बेकाबू हो रही है.
त्योहारों पर लाखों लोग लौटते हैं घर
दशहरा, दीपावली और छठ पूजा भारतीय समाज के बड़े पर्व हैं . इस दौरान देशभर में कामकाज, पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसे महानगरों में रहने वाले लाखों लोग अपने गांव-घर लौटते हैं. त्योहारों पर परिवार और अपनों के साथ समय बिताने की इच्छा ही ट्रेनों में असाधारण भीड़ की सबसे बड़ी वजह है . रेलवे भी इस भीड़ को देखते हुए हर साल स्पेशल ट्रेनों का संचालन करता है और नियमित ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़ता है. बावजूद इसके, मांग इतनी अधिक रहती है कि सीटें मिनटों में भर जाती हैं .
वेटिंग टिकट नियम में बदलाव
इस बार यात्रियों के लिए एक राहत यह है कि रेलवे ने वेटिंग टिकट के नियमों में बदलाव किया है. पहले कुल सीटों का 50 प्रतिशत तक वेटिंग टिकट जारी किया जाता था, लेकिन अब केवल 25 प्रतिशत तक ही वेटिंग टिकट दिए जा रहे हैं. इससे टिकट जल्द बंद हो जाते हैं, लेकिन फायदा यह है कि करीब 75 प्रतिशत वेटिंग टिकट कंफर्म हो जाते हैं. पहले यात्रियों को कई बार वेटिंग नंबर लंबा होने के कारण सफर अधर में लटक जाता था.
यात्रियों की परेशानी बरकरार
हालांकि रेलवे के प्रयासों के बावजूद स्थिति यह है कि त्योहारों से पहले ही ट्रेनों की टिकटें हाथों-हाथ गायब हो रही हैं. लोगों को मजबूर होकर बस और प्राइवेट गाड़ियों का सहारा लेना पड़ सकता है. बस ऑपरेटरों और टैक्सी वालों के लिए यह सीजन कमाई का बड़ा मौका बन जाता है, लेकिन आम लोगों की जेब पर इसका सीधा असर पड़ता है .
रेलवे सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में त्योहारी सीजन को देखते हुए विशेष ट्रेनों की घोषणा की जा सकती है . साथ ही, अधिक डिमांड वाली ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाने की योजना भी है . लेकिन फिलहाल की स्थिति यही है कि जिन लोगों ने पहले से टिकट की बुकिंग कर ली, वही चैन से घर पहुंच पाएंगे.