वाराणसी: पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने कहा कि डिजिटल युग में ठगी और साइबर अपराध से सुरक्षा का सबसे प्रभावी साधन केवल सतर्कता और जागरूकता है. उन्होंने सभी को सतर्क करते हुए कहा कि अज्ञात नंबर से आने वाले कॉल, संदिग्ध लिंक या मैसेज पर भरोसा न करें. किसी भी स्थिति में अपने बैंक खाते की जानकारी, ओटीपी या वित्तीय विवरण किसी से साझा न करें. यदि ठगी की आशंका हो तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दें.
पुलिस आयुक्त ट्रैफिक लाइन स्थित सभागार में व्यापारियों के साथ बैठक कर साइबर अपराध से बचाव के उपाय बताए.
डिजिटल अरेस्ट का जाल
बैठक में व्यापारियों को समझाया गया कि साइबर ठग खुद को पुलिस, सीबीआई या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर कॉल या वीडियो कॉल करते हैं. वे फर्जी केस या गिरफ्तारी वारंट दिखाकर पीड़ित पर दबाव बनाते हैं और इसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम देते हैं. इसके बाद पीड़ित से पैसों की मांग करते हैं.
फर्जी निवेश और लोन का लालच
साइबर अपराधियों की नई तरकीबों पर चर्चा करते हुए बताया गया कि ठग फर्जी निवेश योजनाओं में अधिक मुनाफा बताकर लोगों को फंसाते हैं. इसके अलावा आसान लोन, या केवाईसी अपडेट के बहाने व्यक्तिगत और बैंकिंग जानकारी हासिल कर धोखाधड़ी की जाती है.
साइबर ठगी से बचाव के 5 जरूरी टिप्स
इन व्यापारियों की रही विशेष उपस्थिति
इस जागरूकता बैठक में डीसीपी काशी गौरव बंसवाल, डीसीपी क्राइम सरवणन टी, एडीसीपी नीतू, एडीसीपी ट्रैफिक अंशुमान मिश्र, एसीपी कोतवाली ईशान सोनी समेत कई अधिकारी मौजूद रहे. वहीं, महानगर व्यापार उद्योग समिति से अध्यक्ष प्रेमनाथ मिश्रा, मुख्य संरक्षक आरके चौधरी, संरक्षक नारायण खेमका, कोषाध्यक्ष पंकज अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में व्यापारी शामिल हुए.