वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को स्वच्छता के क्षेत्र में नया जीवन देने की तैयारी शुरू हो चुकी है. बीते वर्षों में तमाम प्रयासों के बावजूद वाराणसी स्वच्छता सर्वेक्षण में देश के टॉप शहरों से पिछड़ गया था. लेकिन अब इंदौर नगर निगम के सहयोग से बनारस को फिर से चमकाने की पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई है. जुलाई में वाराणसी और इंदौर नगर निगम के बीच हुए टाइअप के बाद,अब शहर की सफाई का तरीका बदलेगा. इसके चलते साफ-सफाई के स्तर पर बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है.
वर्ष 2024 में वाराणसी नगर निगम की स्थिति राज्य स्तर पर और खराब हो गई. पहले जहां यह रैंकिंग में चौथे स्थान पर था, वहीं अब यह सातवें स्थान पर आ गया है. गंगा टाउन कैटेगरी में भी पहले नंबर पर रहने वाला वाराणसी अब दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.
इस गिरावट की प्रमुख वजह है घर-घर से कूड़ा उठाने के दौरान गीले और सूखे कचरे का अलग-अलग संग्रह न होना.
भारत का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अब वाराणसी को मार्गदर्शन देगा. दोनों नगर निगमों के बीच जुलाई में अहम बैठक हुई थी, जिसमें तकनीकी टीमों ने साझा रणनीति बनाई.
नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इंदौर नगर निगम की मदद से वाराणसी को न सिर्फ स्वच्छता रैंकिंग में ऊपर लाया जाएगा, बल्कि इसे साफ, सुंदर और आदर्श शहर के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा.
मंदिरों और घाटों पर विशेष सफाई योजना
विश्वनाथ, अन्नपूर्णा, काल भैरव, संकट मोचन और महामृत्युंजय मंदिर जैसे बड़े मंदिरों के बाहर तीन शिफ्टों में सफाई.
मंदिरों से निकलने वाले प्रसाद, फूल-पत्तियों के लिए अलग निस्तारण व्यवस्था.
काशी विश्वनाथ की तरह अन्य मंदिरों में भी प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाया जाएगा.
घाटों की सफाई और सीवेज प्रबंधन
घाटों पर काम करने वाले सफाईकर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी.
मणिकर्णिका घाट और नमो घाट के सीवेज पंपिंग स्टेशन को पूरी क्षमता से चलाया जाएगा ताकि घाटों पर ओवरफ्लो न हो.
पूरे शहर को 800-1000 मीटर के बीट में बांटकर सफाई होगी.
आवासीय क्षेत्र में रोजाना एक बार, और औद्योगिक क्षेत्र में दिन में तीन बार सफाई की जाएगी.
सुबह, दोपहर और शाम—तीन शिफ्टों में सफाई टीम काम करेगी.
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घर-घर कूड़ा उठाने का नया अभियान
1 सितंबर से विशेष अभियान की शुरुआत होगी.
हर घर से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग लेने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.
नगर निगम की टीम घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करेगी.क्या है गीला और सूखा कचरा, और कैसे करें इनका सही निस्तारण.
इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार
नवविस्तारित 18 वार्डों में ओवरहेड टैंक और पानी की पाइपलाइन के लिए DPR शासन को भेजा जाएगा.
छावनी क्षेत्र में सफाई के साथ-साथ डेली फॉगिंग, और पार्कों की सफाई पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.
साप्ताहिक मॉनिटरिंग और तकनीकी सहयोग
इंदौर और वाराणसी की टेक्निकल टीमें आपस में लगातार संपर्क में रहेंगी.
हर सप्ताह कार्यों की समीक्षा और जरूरत के अनुसार सुधार सुनिश्चित किए जाएंगे.
जनजागरण अभियान की शुरुआत
जिन क्षेत्रों में लोग अभी भी घर से कूड़ा नहीं दे रहे हैं, वहां महापौर और नगर आयुक्त लोगों के बीच जाकर संवाद करेंगे. लोगों को बताया जाएगा कि उनका सहयोग कैसे शहर को स्वच्छ बना सकता है.
क्या निकलेगा नतीजा ?
इस विस्तृत योजना के तहत अगर सभी पहलुओं पर सही ढंग से कार्य हुआ तो आने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में वाराणसी एक बार फिर से देश के टॉप स्वच्छ शहरों में अपनी जगह बना सकता है. इंदौर मॉडल को अपनाकर बनारस न सिर्फ स्वच्छता में बल्कि नगर प्रबंधन के क्षेत्र में भी मिसाल बन सकता है.